पश्चिमी दिल्ली : 17 मजदूरों की जान लेने वाले बवाना अग्निकांड में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने एफआईआर में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट की धारा को भी जोड़ दिया है। यह जानकारी जांच अधिकारी राजीव रंजन ने शनिवार को रोहिणी जिला अदालत को दी। जांच अधिकारी ने महानगर दंडाधिकारी विक्रम सिंह के समक्ष बताया कि जांच के बाद अब इस बात की पुष्टि हो गई है कि मरने वालों में एक नाबालिग बच्ची भी शामिल है।
ऐसे में इस मामले में जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत भी मुकदमा बनता है। अब इस धारा को भी मुख्य एफआईआर में जोड़ दिया गया है। पीड़ित पक्ष के वकील ऋषिपाल ने अदालत के समक्ष कहा था कि मरने वालों में 11 वर्षीय रीटा को 18 साल का बताने का प्रयास किया गया। ऐसा कठोर कानूनी कार्रवाई से बचाने के लिए आरोपियों ने किया, लेकिन मृतका के आधार कार्ड से इसकी पुष्टि हो गई है।
आदेश देने का अधिकार नहीं… बचाव पक्ष के वकील ऋषिपाल ने इस मामले में एनआईए जांच की याचिका लगाई थी। इस मुद्दे पर शनिवार को रोहिणी कोर्ट में सरकारी वकील और बचाव पक्ष के वकील के बीच बहस हुई। दलीलें सुनने के बाद महानगर दंडाधिकारी विकम सिंह ने कहा कि जिला अदालत के पास किसी केस को दिल्ली पुलिस से लेकर एनआइए व सीबीआई जैसी एजेंसी को सौंपने का अधिकार नहीं है। यह अधिकारी हाई कोर्ट के पास है।
एनआईए जांच की जरूरत नहीं…क्राइम ब्रांच ने एनआईए को जांच सौंपे जाने को लेकर अपनी याचिका के जवाब में कहा कि फिलहाल इसकी कोई जरूरत नहीं है। एनआईए का गठन आतंकवाद जैसी घटनाओं की जांच के लिए हुआ है। जांच अधिकारी ने कहा कि मेरी समझ से इस मामले में कोई टेरर थ्रेट नहीं है।लिहाजा जांच किसी और एजेंसी को नहीं सौंपी जानी चाहिए।
डिपार्टमेंट को नहीं मिली क्लीन चिट… पीड़ित पक्ष की तरफ से कहा गया कि अवैध पटाखा फैक्ट्री का मालिक ललित गोयल और मनोज जैन थे, उन्होंने यह जगह किराए पर ली हुई थी। ऐसे में इस जगह के मालिक को भी मामले में आरोपी बनाया जाना चाहिए। इसपर जांच अधिकारी की तरफ से कहा गया कि हमने इस मामले में लेबर डिपार्टमेंट और निगम के कर्मचारियों से भी रिपोर्ट मंगवाई है। अबतक हमने किसी को भी क्लीन चिट नहीं दी है। रिपोर्ट मिलने के बाद ही सभी पक्षों की भूमिक का पता चल सकेगा। जिसके बाद इस मामले में जो भी दोषी पाया जाएगा उसपर हम निश्चित तौर पर कार्रवाई करेंगे।
सप्लायर की भूमिका की पुष्टि…जांच अधिकारी ने अदालत को बताया कि इस मामले में सबसे बड़ा झटका उन्हें उस वक्त लगा जब मनोज और ललित को एक्सप्लोजिव मुहैया कराने वाले एक सप्लायर की हाल ही में मृत्यु हो गई। उसकी पत्नी से पूछताछ कर मामले को पुख्ता करने का प्रयास किया जा रहा है। इसी बीच जांच टीम ने दिलीप अग्रवाल नामक एक अन्य सप्लायर की भूमिका को पुख्ता तरीके से अपने मुकदमे में जोड़ लिया है।
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– संदीप गुप्ता