EC के फैसले पर AAP का वार, कहा- चुनाव आयोग उतारना चाहता है PM मोदी का कर्ज - Punjab Kesari
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EC के फैसले पर AAP का वार, कहा- चुनाव आयोग उतारना चाहता है PM मोदी का कर्ज

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आम आदमी पार्टी के 20 विधायकों को लाभ का पद के आरोप में चुनाव आयोग ने अयोग्य करार देने के बाद आप विधायक सौरभ भारद्वाज ने अपना पक्ष रखा। आप नेता सौरभ भारद्वाज ने कहा कि हमारे विधायकों ने किसी भी तरह का कोई फायदा नहीं उठाया है। सौरभ भारद्वाज ने कहा कि जिस लाभ के पद का आरोप लगाया जा रहा है, वैसा कुछ हुआ ही नहीं है। हमारे विधायकों ने सरकारी गाड़ी, सरकारी बंगला और तनख्वाह का फायदा नहीं लिया है।

उन्होंने विधायकों पर लाभ के पद को लेकर सभी लाभों से इंकार करते हुए कहा की पीएम मोदी और चुनाव आयोग पर निशाना साधा है। सौरभ ने सवाल किया मीडिया से लेकर विधानसभा में रहने वाले लोगों से पूछा जा सकता है की क्या किसी ने किसी भी विधायक के पास सरकारी गाड़ी देखी हो बंगला देखा हो या किसी भी बैंक स्टेटमेंट में एक रुपए की भी सैलरी देखी हो। चुनाव आयोग ने इस मामले में हमारी बात नहीं सुनी है, किसी को भी विधायक को अपनी गवाही रखने का मौका नहीं दिया है।

सौरभ ने कहा कि मुख्य चुनाव आयुक्त एके ज्योति ने गुजरात में पीएम मोदी के अंडर में काम किया है। अब वे पीएम मोदी का कर्ज चुका रहे हैं। 23 जनवरी को उनका जन्मदिन है और सोमवार को रिटायर हो रहे हैं। इसलिए जाने से पहले सभी काम को निपटाना चाहते हैं। सौरभ ने कहा कि सोमवार के बाद ना ही मोदी जी और ना ही ब्रह्मा जी एके ज्योति को मुख्य चुनाव आयुक्त के पद पर रख सकते हैं। इस मामले में शिकायत करने वाले प्रशांत पटेल ने कहा कि यह पूरी तरह से साफ है, इन 20 विधायकों की सदस्यता रद्द हो जाएगी।

उन्होंने कहा, ”मैंने यह मामला 2015 में उठाया था, पूरे केस को देखने पर लगता है कि इन विधायकों की सदस्यता चली जाएगी। चुनाव आयोग अपना फैसला राष्ट्रपति के पास भेजेगा, जिस पर राष्ट्रपति अपनी मंजूरी देंगे।” उन्होंने आगे कहा, ”आप विधायकों की सदस्यता बचने की कोई गुंजाइश नहीं है, क्योंकि खुद दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने आयोग को दिए अपने हलफनामा में माना है कि विधायकों को मंत्रियों की तरह सुविधा दी गई।

दिल्ली में 7 विधायक मंत्री हो सकते हैं, लेकिन इन्होंने 28 बना दिए।” दूसरी ओर, केंद्र सरकार ने विधायकों को संसदीय सचिव बनाए जाने के फैसले का विरोध करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट में आपत्ति जताई और कहा था कि दिल्ली में सिर्फ एक संसदीय सचिव हो सकता है, जो मुख्यमंत्री के पास होगा। इन विधायकों को यह पद देने का कोई संवैधानिक प्रावधान नहीं है।

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