नई दिल्ली : विभिन्न मुद्दों को लेकर भाजपा पर हमलावर रहने वाली आप पार्टी ने भाषा के सहारे भाजपा पर निशाना साधा है। आप ने आरोप लगाया है कि पूर्वांचल समाज के लोगों को सम्मान देने के लिए दिल्ली सरकार ने मैथिली और भोजपुरी भाषा को मजबूत करने का जो फैसला किया है, वह दिल्ली में एक राजनीतिक दल को पसंद नहीं आ रहा है।
आप के राष्ट्रीय प्रवक्ता और पार्टी के वरिष्ठ नेता राघव चड्ढा ने एक प्रेसवार्ता कर कहा कि भाजपा सीएम अरविंद केजरीवाल के इस कदम का विरोध कर रही है। जबकि दिल्ली के लोग इस कदम की सराहना कर रहे हैं। मैं भाजपा नेताओं से पूछना चाहता हूं कि यदि कोई राज्य सरकार मैथिली और भोजपुरी जैसी मीठी भाषाओं को स्कूली शिक्षा में लाना चाहती है, उसका उत्सव मनाना चाहती है और उसका कंप्यूटरीकरण करना चाहती है, तो वे और उनकी पार्टी कैसे विरोध कर सकती हैं?
आप विधायक संजीव झा ने कहा कि जब से मैथिली भाषा संविधान की अष्टम सूची में आई है, तब से आज तक भोजपुरी भाषा के अनुयायी दर-दर भटक रहे थे। दिल्ली सरकार का जो यह कदम है, यह न केवल मैथिली भाषा को आगे बढ़ाएगा बल्कि हमारी संस्कृति को भी आगे बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर है।
मैथिली-भोजपुरी पढ़ाने की घोषणा मात्र छलावा
चुनाव के मौसम में गत सोमवार को अरविंद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में बसे पूर्वांचल समाज को गुमराह करने के लिए एक घोषणा की है कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों में मैथिली- भोजपुरी पढ़ाई जाएगी। दिल्ली भाजपा के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने कहा है कि यह घोषणा केजरीवाल सरकार ने बिलकुल उसी तर्ज पर की है जैसी की जनवरी, 2014 में सरकार से जाते हुए उर्दू के विस्तार को लेकर की थी और पंजाब विस चुनाव से पूर्व 2016 में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पंजाबी पढ़ाने को लेकर की थी।
अरविंद केजरीवाल यह जान लें की दिल्ली के सरकारी स्कूलों में मैथिली-भोजपुरी पढ़ाने की घोषणा से उन्हें कोई राजनीतिक लाभ नहीं मिलेगा क्योंकि पूर्वांचलवासी यह समझते हैं की यह घोषणा मात्र एक राजनीतिक छलावा है। आज दिल्ली के स्कूलों में लगभग 1400 उर्दू एवं पंजाबी शिक्षकों के पद खाली हैं और कुछ गिनती के स्कूलों को छोड़कर, यह दोनों भाषाएं ज्यादातर स्कूलों में पढ़ाई नहीं जा रही हैं।