'मुफ़्त रेवड़ी' कल्चर को लेकर AAP ने किया SC का रुख, बताया क्यों जरूरी है 'मुफ्त योजनाएं' - Punjab Kesari
Girl in a jacket

‘मुफ़्त रेवड़ी’ कल्चर को लेकर AAP ने किया SC का रुख, बताया क्यों जरूरी है ‘मुफ्त योजनाएं’

आप का कहना है कि मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली, मुफ्त परिवहन जैसे चुनावी वादे मुफ्त नहीं हैं, लेकिन

आम आदमी पार्टी (AAP) ने चुनावी प्रचार के दौरान ‘मुफ्त’ की योजनाएं (फ्रीबीज) के बचाव में सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। आप ने इस तरह की योजनाओं की घोषणा को राजनीतिक पार्टियों का लोकतांत्रिक और संवैधानिक अधिकार बताया है। पार्टी का कहना है कि मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली, मुफ्त परिवहन जैसे चुनावी वादे मुफ्त नहीं हैं, लेकिन एक असमान समाज में बेहद जरूरी हैं।
आप ने इस मामले में खुद को भी पक्ष बनाए जाने की मांग की है। आप ने याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय को बीजेपी का सदस्य बताते हुए उनकी मंशा पर भी सवाल उठाए हैं। इस मामले में आगे 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा। आप ने उस जनहित याचिका का विरोध करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिसमें चुनाव से पहले मुफ्त उपहार देने के लिए राजनीतिक दलों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई है। 
 गैरजरूरी मुफ्त योजनाओं से अर्थव्यवस्था को नुकसान : SC
बता दें कि पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एन वी रमना के अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने गैरजरूरी मुफ्त योजनाओं से अर्थव्यवस्था को हो रहे नुकसान पर चिंता जताई थी। राज्यों पर बकाया लाखों करोड़ों रुपए के कर्ज का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने मामले के समाधान के लिए एक कमिटी बनाने के संकेत दिए थे। कोर्ट ने मामले से जुड़े पक्षों से इस कमिटी के संभावित सदस्यों के नाम सुझाने के लिए कहा था। 
बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा फ्री बी पर रोक लगाने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई का आग्रह करते हुए आप ने कहा है कि मुफ्त पानी, मुफ्त बिजली या मुफ्त सार्वजनिक परिवहन जैसे चुनावी वादे “मुफ्त उपहार” नहीं हैं, बल्कि एक समानता वाले समाज बनाने की दिशा में राज्य की जिम्मेदारियों और संवैधानिक” कर्तव्य के उदाहरण हैं।
‘रेवडी क्लचर’ पर रोक लगाने के लिए विचार करे सरकार और EC
इससे पहले तीन अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने ‘मुफ्त की रेवडी क्लचर’ पर कहा था कि सरकार और चुनाव आयोग इस पर रोक लगाने के लिए विचार करे। सुप्रीम कोर्ट ने फ्रीबीज यानी ‘रेवड़ी कल्चर से निपटने के लिए एक विशेषज्ञ निकाय बनाने की वकालत की थी। कोर्ट ने कहा था कि इसमें केंद्र, विपक्षी राजनीतिक दल, चुनाव आयोग, नीति आयोग, आरबीआई और अन्य हितधारकों को शामिल किया जाए। 
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि निकाय में फ्रीबीज पाने वाले और इसका विरोध करने वाले भी शामिल हों। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा ये मुद्दा सीधे देश की इकानॉमी पर असर डालता है। इस मामले को लेकर एक हफ्ते के भीतर ऐसे विशेषज्ञ निकाय के लिए प्रस्ताव मांगा गया है। अब इस जनहित याचिका पर 11 अगस्त को अगली सुनवाई होगी।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।