नई दिल्ली : लोकसभा चुनाव 2019 के लिए कांग्रेस व आम आदमी पार्टी (आप) में गठबंधन को हाल ही में एआईसीसी अध्यक्ष राहुल गांधी ने भले ही मना कर दिया हो, लेकिन संभावनाओं का बाजार अभी भी गर्म है। शनिवार को शीला दीक्षित ने सोनिया गांधी से मुलाकात की। इस मुलाकात के बाद ही तेजी से बाजार में चर्चा फैल गई कि आप और कांग्रेस के गठबंधन की संभावना अभी भी बनी हुई है। बताया जा रहा है कि दो दिन पहले ही वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं का एक धड़ा सोनिया गांधी से मिला और आप पार्टी के साथ गठबंधन के फायदे से उनको अवगत कराया।
गौरतलब है कि गत दिनों ही दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित के साथ प्रदेश कांग्रेस के तमाम पदाधिकारी, पूर्व प्रदेश अध्यक्षों के साथ राहुल गांधी ने बैठक की और आप के साथ गठबंधन से होने वाले नफा-नुकसान का आकलन किया। जिसके बाद शीला दीक्षित द्वारा घोषणा कर दी गई कि गठबंधन नहीं होगा। राहुल गांधी ने एक पत्रकारों के एक सवाल के जवाब में कह दिया कि दिल्ली यूनिट गठबंधन नहीं चाहती है। लेकिन कांग्रेस के ही कुछ नेता गठबंधन चाहते हैं और उन्होंने राहुल गांधी को बाईपास कर सोनिया गांधी से मुलाकात कर आप से गठबंधन के फायदे गिना दिए।
इस पर शनिवार को प्रदेश अध्यक्ष शीला दीक्षित को सोनिया गांधी ने बैठक के लिए बुला लिया। अब बैठक में क्या हुआ, इसका खुलासा तो नहीं हुआ, लेकिन कांग्रेस के नेताओं का तर्क था कि 11 मार्च को होने वाले बूथ अध्यक्षों के सम्मेलन को लेकर औपचारिक मुलाकात थी। दूसरी तरफ कार्यकारी अध्यक्ष राजेश लिलोठिया का कहना है कि आप और कांग्रेस के गठबंधन की इस खबर का मैं पूरी तरह से खंडन करता हूं। यह पूरी तरह से अफवाह है।
लेकिन एक बात समझने की यह है कि अगर राहुल गांधी 11 तारीख को दिल्ली में इतना बड़ा सम्मेलन कर रहे हैं तो वह तो बेवजह हो जाएगा क्योंकि सम्मेलन को सफल बनाने के लिए प्रदेश के तमाम पदाधिकारी और वर्कर जी-जान से जुटे हैं। ऐसे में जिन लोगों ने गठबंधन की अफवाह उड़ाई है वह कांग्रेसी नहीं हो सकते? लिलोठिया ने कहा कि शीला दीक्षित की मुलाकात सिर्फ औपचारिक थी और कुछ नहीं है।