तमिलनाडु के तूतीकोरिन ज़िले में वेदांता ग्रुप की कंपनी स्टरलाइट कॉपर के ख़िलाफ़ हिंसक प्रदर्शन में 11 लोग मारे गए हैं। इसमें 40 से ज़्यादा लोग ज़ख़्मी हुए हैं जिनमें कई पत्रकार और कैमरापर्सन भी हैं। लोग महीनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। उनका आरोप है कि स्टरलाइट फ़ैक्ट्री से इलाक़े में प्रदूषण फैल रहा है। मंगलवार को यह प्रदर्शन हिंसक हो गया। इस दौरान आम लोगों और पुलिस में झड़प हुई और पुलिस की गोलीबारी में नौ लोग मारे गए।
पुलिस का कहना है कि जब प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थर फेंकना शुरू किया तो लाठी चार्ज किया गया था। पुलिस के मुताबिक़ हालात नियंत्रण से बाहर हो गए तब पुलिस ने गोली चलाई। प्रशासन ने घटनास्थल पर अभी धारा 144 लगा रखी है, जबकि पड़ोसी जिलों से 2000 से ज्यादा पुलिसकर्मी सुरक्षा के लिए भेजे गए हैं। वहीं मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै बेंच ने स्टरलाइट कंपनी के यूनिट विस्तार पर फिलहाल रोक लगा दी है। डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष एमके स्टालिन ने पुलिस की गोलीबारी की कड़ी निंदा की है।
राज्य सरकार ने प्रदर्शनकारियों से शांति बरतने की अपील की है और प्लांट के ख़िलाफ़ क़ानूनी कार्रवाई का आश्वासन दिया है। बता दें कि इस प्लांट में हर साल 4,00,000 टन कॉपर कथोड बनता है, जिसे कंपनी बढ़ाकर 8,00,000 करना चाहती है। स्थानीय लोगों की सबसे बड़ी समस्या इस प्लांट से होने वाले प्रदूषण से है और इसी को लेकर लोग विरोध कर रहे हैं। प्लांट 27 मार्च से बंद है। इसे पहले 15 दिन के लिए मेंटेनेंस का काम करने के लिए बंद किया गया था।
हिंसा ने लिया राजनीतिक रूप
हालांकि, इस मामले ने अब राजनीतिक रंग भी ले लिया है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने लोगों की मौत के बहाने तमिलनाडु सरकार और बीजेपी-आरएसएस पर हमला बोला। मशहूर तमिल अभिनेता और सामाजिक कार्यकर्ता कमल हासन भी प्लांट के विरोध में तूतीकोरिन पहुंचे। उन्होंने प्रदर्शन में घायल हुए लोगों से अस्पताल जाकर मुलाकात भी की। दूसरी तरफ, कंपनी का दावा है कि प्रदूषण नियंत्रण के लिए कंपनी सभी जरूरी निर्देशों का पालन कर रही है।
क्या है पूरा मामला
वेदांता ग्रुप की कंपनी स्टरलाइट कॉपर को लेकर स्थानीय लोग इस प्लांट को बंद करने की मांग कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि इस प्लांट से प्रदूषण के कारण सेहत से जुड़ी गंभीर समस्या का संकट खड़ा हो गया है। इस कंपनी ने हाल ही में शहर में अपनी और यूनिट बढ़ाने की घोषणा की थी। यहां पर धातु गलाया जाता है और एक साल में चार लाख टन तांबे का तार बनता है। वेदांता ब्रिटेन की कंपनी है यह उसकी सब्सिडरी है। कंपनी की योजना है कि वो हर साल 80 हज़ार टन तांबे के तार का उत्पादन करे। तूतीकोरिन ज़िले की इस यूनिट पर प्रदूषण को लेकर कई गंभीर आरोप हैं। वेदांता को लेकर भारत के कई राज्यों में विवाद हो चुका है।
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