पटना अधिवेशन भवन में आयोजित ‘नवनियुक्त सहायक अभियंताओं के उन्मुखीकरण कार्यशाला’ को सम्बोधित करते हुए उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि 1990 से 2005 के 15 वर्षार् में राजद-कांग्रेस के कार्यकाल में बिहार के ग्रामीण व पथ निर्माण विभाग की सड़कों के निर्माण व मरम्मत पर कुल 6,071 करोड़ खर्च हुए थे जबकि 2006 से अब तक उन्नीस गुना से ज्यादा 1.19 लाख करोड़ खर्च हुए हैं। केवल 2018-19 में ग्रामीण व पथ निर्माण विभाग की सड़कों पर 17 हजार करोड़ खर्च का प्रावधान हैं जिसका मात्र 15 प्रतिशत मरम्मत पर खर्च होगा।
उन्होंने कहा कि एक समय था जब बिहार में पुरानी सड़कों की मरम्मत के नाम पर अलकतरा घोटाला हुआ। वर्ष 1990-91 में नई सड़क बनी 84 किमी और चौड़ीकरण हुआ 138 किमी तथा 44 हजार मे. टन अलकतरा की खरीद की गई वहीं 5 साल बाद 1995-96 में चौडी़करण का कोई काम नहीं हुआ, नई सड़क बनी मात्र 06 किमी मगर दो गुना से ज्यादा 94 हजार मे.टन अलकतरा की खरीद कर घोटाला किया गया। इस घोटाले में तत्कालीन पथ निर्माण मंत्री और दर्जन भर इंजीनियरों तक को जेल जाना पड़ा।
उस दौर में अलकतरा घोटाला को अंजाम देने के लिए नई सड़कों के निर्माण से कई गुना ज्यादा पुरानी सड़कों की मरम्मत पर खर्च दिखाया गया। 1994-95 और 1995-96 के दो वर्षां में जब संयुक्त बिहार था, नई सड़कों के निर्माण पर 99 करोड़ तो मरम्मत पर करीब ढाई गुना से ज्यादा 253 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
श्री मोदी ने कहा कि एनडीए के कार्यकाल में बिहार में सड़कों का जाल बिछा है। प्रति सौ वर्ग किमी रोड नेटवर्क में देश में बिहार (218 किमी ) तीसरे स्थान पर, प, बंगाल (333 किमी) दूसरे स्थान और केरल ( 501 किमी) प्रथम स्थान पर है जबकि राष्ट्रीय औसत 139.6 किमी है। पिछले 10 वर्षों में प्रति वर्ग किमी सड़क की लम्बाई में 57 प्रतिशत की वृद्धि हुई है और एनएच की लम्बाई में बिहार दूसरे स्थान पर है।