दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आ गए हैं। यहां भाजपा ने प्रचंड जीत दर्ज की है। 70 विधानसभा सीटों वाले राज्य में भाजपा के हिस्से में 48 सीटें आई हैं। जबकि, 22 सीटों पर आम आदमी पार्टी (आप) को जीत मिली है और कांग्रेस एक बार फिर अपना खाता खोलने में नाकामयाब रही। दिल्ली चुनाव के दौरान आम आदमी पार्टी और भाजपा के बीच चुनावी मुद्दे के रूप में स्वास्थ्य भी शीर्ष पर रहा। जहां भाजपा के लोग अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी के नेताओं से सवाल पूछते हुए नजर आए कि उन्होंने दिल्ली में कितने अस्पताल बनवाए, कितनी अस्पतालों की सेहत में सुधार किया, कितने लोगों को चिकित्सा बीमा का लाभ दिया, दिल्ली के अस्पतालों में लोगों की बढ़ती भीड़ को देखते हुए क्या व्यवस्थाएं की, दिल्ली के अस्पतालों में लोगों को मुफ्त दवाएं नहीं मिल रही हैं, उसके बारे में क्या किया? वहीं, दिल्ली की आम आदमी पार्टी सरकार ने राज्य में आयुष्मान योजना को लागू क्यों नहीं होने दिया?
आम आदमी पार्टी के नेता इन सवालों के जवाब में दावा करते नजर आए कि उन्होंने यहां ‘मोहल्ला क्लीनिक’ के जरिए लोगों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मुहैया कराई। ऐसे में राज्य में आयुष्मान योजना को लागू करने की जरूरत नहीं पड़ी। वे दावा करते दिखे कि यहां बेहतर से बेहतर चिकित्सा सुविधा दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में मुफ्त उपलब्ध कराई गई है। ऐसे में लोगों को 5 लाख की बीमा योजना की कोई जरूरत नहीं है।
हालांकि, आम आदमी पार्टी के नेताओं से यह सवाल आम तौर पर किया जाता रहा कि अगर उन्होंने ‘मोहल्ला क्लीनिक’ की व्यवस्था इतनी अच्छी की है तो पार्टी के नेता, मंत्री और उनके परिजन उन ‘मोहल्ला क्लीनिक’ में अपना इलाज कराने के बजाए बड़े-बड़े प्राइवेट अस्पतालों में क्यों जाते हैं? दिल्ली की सीएम आतिशी ने तो यहां तक माना कि वह कभी भी ‘मोहल्ला क्लीनिक’ नहीं गईं। वहीं, ‘मोहल्ला क्लीनिक’ को लेकर यह भी बात सामने आई कि वहां फर्जी तरीके से एक ही मोबाइल नंबर पर कई रोगियों की पर्ची बनाई गई और जांच रिपोर्ट के नाम पर खूब पैसे बहाए गए। ज्यादातर ‘मोहल्ला क्लीनिक’ में रखरखाव और साफ-सफाई व्यवस्था अच्छी नहीं होने का खुलासा हुआ तो कई ‘मोहल्ला क्लीनिक’ में ताले जड़े मिले।
दिल्ली की जनता को अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी की सरकार के ‘मोहल्ला क्लीनिक’ को लेकर किए गए दावे रास नहीं आए और यही वजह रही कि ‘आप’ का वोट बैंक कमजोर हुआ और इसकी वजह से भी ‘आप’ को हार का सामना करना पड़ा।