केंद्र सरकार ने निर्यातकों को राहत देते हुए RODTEP योजना के सभी लाभों को बहाल किया है, जिससे निर्यात प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा। यह योजना 1 जून से लागू होगी और विशेष आर्थिक क्षेत्रों में संचालित इकाइयों समेत कई श्रेणियों के निर्यातकों को लाभान्वित करेगी।
वैश्विक बाजारों में भारत की निर्यात प्रतिस्पर्धा क्षमता को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार ने मंगलवार को निर्यातित उत्पादों पर शुल्क और करों में छूट (आरओडीटीईपी) योजना के सभी लाभों को बहाल करने की घोषणा की है।
इस योजना के तहत लाभों की बहाली की घोषणा अग्रिम प्राधिकरण (एए) धारकों, निर्यात-उन्मुख इकाइयों (ईओयू) और विशेष आर्थिक क्षेत्रों (एसईजेड) में संचालित इकाइयों द्वारा किए गए निर्यात के लिए की गई है।
वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय की ओर से दिए गए आधिकारिक बयान के अनुसार योजना के तहत ये लाभ 1 जून से किए गए सभी पात्र निर्यातों पर लागू होंगे।
इन कैटेगरी के लिए आरओडीटीईपी के तहत लाभ पहले 5 फरवरी, 2025 तक उपलब्ध थे। इन लाभों की बहाली से सभी क्षेत्रों के निर्यातकों के लिए समान अवसर उपलब्ध होने की उम्मीद है।
1 जनवरी, 2021 से लागू आरओडीटीईपी योजना निर्यातकों को उन अंतर्निहित शुल्कों, करों और शुल्कों की प्रतिपूर्ति करने के लिए डिजाइन की गई है, जिन्हें किसी अन्य मौजूदा योजना के तहत वापस नहीं किया जाता है।
यह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) के मानदंडों के अनुरूप है। साथ ही पारदर्शिता और दक्षता सुनिश्चित करने के लिए एक व्यापक एंड-टू-एंड डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।
31 मार्च 2025 तक, आरओडीटीईपी योजना के तहत कुल वितरण 57,976.78 करोड़ रुपए को पार कर गया है, जो भारत के व्यापारिक निर्यात का समर्थन करने में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करता है।
वित्त वर्ष 2025-26 के लिए सरकार ने इस योजना के तहत 18,233 करोड़ रुपए आवंटित किए हैं।
मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि यह सहायता घरेलू टैरिफ क्षेत्र (डीटीए) निर्यात के लिए 10,780 एचएस लाइनों और एए/ईओयू/एसईजेड निर्यात के लिए 10,795 एचएस लाइनों को कवर करेगी, जिससे अर्थव्यवस्था के अलग-अलग क्षेत्रों के लिए व्यापक कवरेज सुनिश्चित होगा।
बयान में कहा गया है, “विशेष निर्यात श्रेणियों के लिए आरओडीटीईपी लाभों की बहाली, एक अनुकूल, प्रतिस्पर्धी और अनुपालन निर्यात इकोसिस्टम बनाने के लिए सरकार की निरंतर प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जो भारत के दीर्घकालिक व्यापार विकास को बढ़ावा देती है।”
पिछले सप्ताह जारी एचएसबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, सप्लाई चेन फिर से तैयार हो रही है। इसी के साथ भारत के पास निर्यात बढ़ाने के अवसर देश के दरवाजे पर दस्तक दे रहे हैं। मिड-टेक लेबर-इंटेंसिव निर्यात बढ़ाने वाले कदम देश के व्यापार अंतर्संबंधों, बड़े पैमाने पर उपभोग, निवेश और जीडीपी वृद्धि को बढ़ावा देने में कारगर साबित हो सकते हैं।
रिपोर्ट में कहा गया है कि आम धारणा है कि भारत ज्यादातर घरेलू मांग से प्रेरित अर्थव्यवस्था है, लेकिन दुनिया के साथ बढ़ते इंटीग्रेशन के दौर में भारत ने सबसे तेजी से विकास किया है।
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