केंद्र सरकार ने बढ़ाया 14 खरीफ फसलों का MSP, जानें कितना बढ़ा MSP - Punjab Kesari
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केंद्र सरकार ने बढ़ाया 14 खरीफ फसलों का MSP, जानें कितना बढ़ा MSP

कृषि क्षेत्र को बढ़ावा: MSP में 820 रुपये तक की वृद्धि

केंद्र सरकार ने विपणन सत्र 2025-26 के लिए 14 खरीफ फसलों के MSP में बढ़ोतरी की है। तुअर, अरहर, मूंग, उड़द, मूंगफली, सूरजमुखी, सोयाबीन और कपास जैसी फसलों के MSP में वृद्धि की गई है। यह कदम किसानों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने विपणन सत्र 2025-26 के लिए 14 प्रमुख खरीफ फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) को बढ़ाने के लिए मंजूरी दे दी है। दालों में तुअर,अरहर में 450 रुपये और मूंग के लिए 86 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। उड़द के लिए MSP में 400 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। तिलहन की बात करें तो मूंगफली, सूरजमुखी के बीज और सोयाबीन के MSP में 480 रुपये, 441 रुपये और 436 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। कपास के लिए MSP में 589 रुपये की बढ़ोतरी की गई है और धान के लिए 69 रुपये की बढ़ोतरी की गई है। बता दें कि सरकार हर साल किसानों द्वारा बुवाई से पहले खरीफ फसलों के MSP में संशोधन करती है, जिससे उत्पादकों को उनकी उपज के लिए उचित मूल्य मिल सके।

भारत में तीन फसल मौसम

इस वर्ष, पिछले वर्ष की तुलना में MSP में सबसे अधिक वृद्धि नाइजरसीड का MSP 820 रुपये प्रति क्विंटल, रागी 596 रुपये प्रति क्विंटल, कपास 589 रुपये प्रति क्विंटल और तिल 579 रुपये प्रति क्विंटल की गई है। बता दें कि भारत में तीन फसल मौसम हैं, ग्रीष्मकालीन, खरीफ और रबी। जून-जुलाई के दौरान बोई जाने वाली और मानसून की बारिश पर निर्भर खरीफ फसलें अक्टूबर-नवंबर में काटी जाती हैं। अक्टूबर-नवंबर में बोई जाने वाली रबी की फसलें उनकी परिपक्वता के आधार पर जनवरी से काटी जाती हैं। ग्रीष्मकालीन फसलें रबी और खरीफ मौसम के बीच पैदा होती हैं।

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50 प्रतिशत लाभ का अनुमान

विपणन सीजन 2025-26 के लिए खरीफ फसलों के MSP में वृद्धि केंद्रीय बजट 2018-19 की घोषणा के अनुरूप है, जिसमें MSP को उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत का कम से कम 1.5 गुना के स्तर पर तय करने की घोषणा की गई है। किसानों को उनके उत्पादन लागत पर लाभ बाजरा में 63 प्रतिशत होने का अनुमान है, इसके बाद मक्का 59 प्रतिशत, अरहर 59 प्रतिशत और उड़द 53 प्रतिशत का स्थान है। बाकी फसलों के लिए, किसानों को उनके उत्पादन लागत पर मार्जिन 50 प्रतिशत होने का अनुमान है।

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