ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की बढ़ती पहुंच से टेलीकॉम कंपनी को फायदा - Punjab Kesari
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ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की बढ़ती पहुंच से टेलीकॉम कंपनी को फायदा

डेटा खपत बढ़ने से ग्रामीण क्षेत्रों में टेलीकॉम का मुनाफा

ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट अपनाने और डेटा खपत में वृद्धि भारतीय दूरसंचार कंपनियों के एवरेज रेवेन्यू पर यूजर (एआरपीयू) में वृद्धि के लिए संरचनात्मक चालक के रूप में उभर रही है। इस ट्रेंड का लाभ उठाने के लिए दूरसंचार कंपनियां ग्रामीण कनेक्टिविटी को मजबूत कर रही हैं, जिससे उनके डेटा सब्सक्राइबर बेस और रिटर्न का विस्तार करने में मदद मिलेगी। यह जानकारी मंगलवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई। क्रिसिल रेटिंग्स की एक रिपोर्ट के अनुसार, 31 दिसंबर, 2024 को समाप्त चार कैलेंडर वर्षों में, ग्रामीण भारत में इंटरनेट की पहुंच 59 प्रतिशत से बढ़कर 78 प्रतिशत हो गई। वहीं, शहरी क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच 77 प्रतिशत से बढ़कर 90 प्रतिशत हो गई है।

ऑनलाइन कम्युनिकेशन, डिजिटल पेमेंट के निरंतर अपनाने के साथ-साथ सोशल मीडिया, कंटेंट स्ट्रीमिंग सर्विस और ई-कॉमर्स के बढ़ते उपयोग से वित्त वर्ष 2026 के अंत तक ग्रामीण क्षेत्रों में इंटरनेट की पहुंच में 4-5 प्रतिशत की वृद्धि होने की उम्मीद है। कीमत के प्रति अधिक संवेदनशील होने के बावजूद, ग्रामीण इंटरनेट यूजर्स बेस 2024 के मध्य में टैरिफ बढ़ोतरी के बावजूद भी पिछले वर्ष के दौरान मजबूत बना रहा। यह ग्रामीण यूजर्स की मोबाइल इंटरनेट पर उच्च निर्भरता को दर्शाता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति उपयोगकर्ता डेटा उपयोग में वृद्धि को नेटवर्क विस्तार, प्रतिस्पर्धी मूल्य वाली योजनाओं और स्मार्टफोन का बेहतर सामर्थ्य द्वारा भी समर्थन मिल रहा है। इस गति का अधिकांश हिस्सा सर्किल बी और सी में दिखाई देता है, जो भारत में ग्रामीण सब्सक्राइबर बेस का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं। बीते चार वर्षों में इन सर्किल में डेटा खपत 19-22 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ा है। जबकि, मेट्रो सिटी में डेटा खपत 17-19 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ा है। यह मोबाइल डेटा सर्विस के पेनिट्रेशन और स्थिर मांग को दर्शाता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में प्रति उपयोगकर्ता डेटा उपयोग में वृद्धि को नेटवर्क विस्तार, प्रतिस्पर्धी मूल्य वाली योजनाओं और स्मार्टफोन का बेहतर सामर्थ्य द्वारा भी समर्थन मिल रहा है। इस गति का अधिकांश हिस्सा सर्किल बी और सी में दिखाई देता है, जो भारत में ग्रामीण सब्सक्राइबर बेस का लगभग 70 प्रतिशत हिस्सा बनाते हैं। बीते चार वर्षों में इन सर्किल में डेटा खपत 19-22 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ा है। जबकि, मेट्रो सिटी में डेटा खपत 17-19 प्रतिशत के सीएजीआर से बढ़ा है। यह मोबाइल डेटा सर्विस के पेनिट्रेशन और स्थिर मांग को दर्शाता है।

क्रिसिल रेटिंग्स के निदेशक आनंद कुलकर्णी ने कहा, “यह मानते हुए कि टैरिफ स्थिर रहेंगे, इस वित्त वर्ष के अंत तक उद्योग का एआरपीयू 20-25 रुपए बढ़कर 225-230 रुपए तक पहुंचने की उम्मीद है। इंक्रीमेंटल एआरपीयू का लगभग 55-60 प्रतिशत ग्रामीण ग्राहकों से आने की उम्मीद है।”इस प्रवृत्ति को ध्यान में रखते हुए, दूरसंचार कंपनियां भी विभिन्न डेटा-केंद्रित योजनाओं के साथ अपनी पेशकशों को जोड़ रही हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में स्पेक्ट्रम अधिग्रहण और टावर घनत्व में निवेश कर रही हैं। जून 2024 में आयोजित नीलामी में दूरसंचार कंपनियों ने सर्किल बी और सी में अधिकांश स्पेक्ट्रम हासिल किया।

इसके अलावा, स्वतंत्र टेलीकॉम टावर कंपनियां वित्त वर्ष 2026 में लगभग 8,000 से 9,000 करोड़ रुपए के पूंजीगत व्यय (कैपेक्स) की योजना बना रही हैं, जिसमें से एक बड़ा हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों की ओर निर्देशित किया जाएगा। क्रिसिल रेटिंग्स टीम लीडर मोहिनी चटर्जी ने कहा, “ग्रामीण क्षेत्रों में लक्षित नेटवर्क और स्पेक्ट्रम निवेश, साथ ही एआरपीयू में वृद्धि, दूरसंचार कंपनियों के नियोजित पूंजी पर रिटर्न को वित्त वर्ष 2025 के 10 प्रतिशत से बढ़ाकर वित्त वर्ष 2026 में लगभग 12 प्रतिशत करने में मदद करेगी।”

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