नई दिल्ली : चीनी उद्योगों के प्रमुख संगठन- भारतीय चीनी मिल संघ (इस्मा) ने शुक्रवार को कहा कि देश में चीनी उत्पादन अक्तूबर 2018 से शुरु हुए चालू विपणन वर्ष के पहले सात महीनों (अक्टूबर से अप्रैल) में 3.21 करोड़ टन तक पहुंच गया। संघ के मुताबिक मौजूदा विपणन सत्र के दौरान कुल चीनी उत्पादन 3.3 करोड़ टन की नयी रिकॉर्ड ऊंचाई को छू सकता है।
इस्मा ने कहा है कि ज्यादातर चीनी का उत्पादन पहले ही किया जा चुका है और मौजूदा समय में केवल कुछ चीनी मिलें ही परिचालन में हैं। विपणन वर्ष 2017-18 (अक्टूबर-सितंबर) के दौरान देश का चीनी उत्पादन रिकॉर्ड 3.25 करोड़ टन हुआ था। इसके मुकाबले देश में चीनी की वार्षिक खपत मात्र 2.6 करोड़ टन ही है। इस्मा के अनुसार, अक्टूबर 2018 से इस साल अप्रैल के बीच चीनी मिलों ने तीन करोड़ 21 लाख टन चीनी उत्पादन किया है। 30 अप्रैल तक केवल 100 मिलें परिचालन में थीं।
देश के शीर्ष तीन प्रमुख चीनी उत्पादक राज्यों – उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक ने विपणन वर्ष 2018-19 के अक्टूबर-अप्रैल अवधि के दौरान क्रमशः एक करोड़ 12 लाख टन, 1.07 करोड़ टन और 43.2 लाख टन चीनी उत्पादन किया। इस्मा ने एक बयान में कहा है कि भले ही चालू वर्ष में गन्ने की पेराई का स्तर पिछले साल की तुलना में कम रहा हो, लेकिन 2018-19 में चीनी का उत्पादन पिछले साल की तुलना में मामूली अधिक होगा। उत्तर भारत में चीनी प्राप्ति का स्तर पिछले साल की तुलना में काफी बेहतर रहा है।
महाराष्ट्र और कर्नाटक सहित देश के अन्य हिस्सों में भी चीनी रिकवरी पिछले साल की तुलना में बेहतर है, हालांकि यह उतनी नहीं है जितनी उत्तर भारत में हासिल की गई है। इस्मा ने अनुमान व्यक्त किया है कि इसलिए, पूरे देश के लिए चालू वर्ष में चीनी उत्पादन लगभग 3.3 करोड़ टन होने की उम्मीद है जो पिछले साल की तुलना में लगभग 5,00,000 टन अधिक होगा। पिछले 15-20 दिनों में चीनी उत्पादन की गति धीमी हो गई है।