निवेशकों की कमजोर लिवाली से सेंसेक्स लुढ़का - Punjab Kesari
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निवेशकों की कमजोर लिवाली से सेंसेक्स लुढ़का

एक बार फिर निवेशकों की कमजोर लिवाली से सेंसेक्स में गिरावट दर्ज की गयी। अंतिम सत्र के दौरान

मुंबई : पिछले दो सप्ताहों की तेजी के बाद गत सप्ताह एक बार फिर निवेशकों की कमजोर लिवाली से सेंसेक्स में गिरावट दर्ज की गयी। अंतिम सत्र के दौरान निवेशकों की मुनाफा कटान चलने से 90 प्रतिशत के करीब शेयर लुढ़क गये, जिससे बीएसई गत सप्ताह 35457.16 से गिरकर अंतिम सत्र इस बार वीरवार का होने से 34981.02 तथा एनएसई भी इसी अवधि में 10682.20 से लुढ़ककर अंत में 10526.75 अंक पर बंद हुआ। गत सप्ताह शुक्रवार गुरुनानक प्रकाशोत्सव गंगास्नान पर्व होने से इस दिवस पर अवकाश रहा।

बीते दो सप्ताह की अवधि में बीएसई व एनएसई तेज गति में बंद हुए थे, जो गत सप्ताह निवेशकों की लगभग 90 प्रतिशत शेयरों में मुनाफा बिकवाली चलने से बीएसई व एनएसई अंत में गिरकर बंद हुए। इस बार शुक्रवार को गुरुनानक व गंगास्नान पर्व होने के कारण सप्ताह के चार दिवस ही सेशन चला जिससे दोनों सूचकांक में गिरावट दर्ज की गयी तथा बैंक क्षेत्र के शेयरो में भी बिकवाली का माहौल बना रहा।

मुख्य कारण गत सप्ताह बैंक बंद होने एवं लिवाली-बिकवाली से शेयर सौदों में कामकाज कम सुना गया जिससे मार्केट सुस्त रही। वहीं आईटी क्षेत्र के शेयर दो सप्ताह से अच्छी बढ़त के बाद गत सप्ताह इसमें प्रोफिटेकिंग अधिक देखी गयी। इन्फोसिस का शेयर डेढ़ सप्ताह पूर्व ऊपर में 665 रुपए के आसपास देखा गया था, जो गत सप्ताह अंतिम सत्र यानि वीरवार को 620.45 रुपए रह गया था।

इसके अलावा एफएमसीजी के शेयर भी इसी तरह गत सप्ताह मंदे में दिखाई दिये। इन्फ्रा क्षेत्र में पॉवर, कोल, रीयल एस्टेट, सीमेंट, कन्स्ट्रक्शन, स्टील, तेल तथा इलैक्ट्रोनिक कलपुर्जों एवं हैल्थ उपकरण आदि क्षेत्र के शेयरों में भी मंदा देखा गया। ऑटो क्षेत्र में बजाज ऑटो का शेयर पिछले डेढ़ सप्ताह की अवधि के अंतराल गत सप्ताह अंत में 100 रुपए के लगभग नीचे आ गया।

कुछ शेयरों में अधिक गिरावट से बिक्री ऑफ हो गयी। इसका अर्थ यह कि इतनी कमजोर लिवाली थी कि शेयर खरीद हेतु निवेशकों द्वारा हाथ पीछे हटा लिये माना जा रहा था। इसके विपरीत इंजीनियरिंग गुड्स में कारोबार सामान्य देखा गया। विदेशी निवेशकों की बिकवाली समर्थन से अंतिम सत्र में रुपया नरम पड़ गया था।

जिसका कारण इन निवेशकों की मुनाफा कटान करके विदेशी मुद्राओं में बैक-टू-पवेलियन होना माना गया। केन्द्र सरकार रोजगार व इन्फ्रा क्षेत्र में विकास सुधार की ओर पुरजोर प्रयास में लगी हुई है, जिससे अर्थव्यवस्था को एक आकर्षक गति मिले तथा करीब-करीब स्टेबल हो सके।

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