राहुल बजाज ने उठाई सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज - Punjab Kesari
Girl in a jacket

राहुल बजाज ने उठाई सरकार की नीतियों के खिलाफ आवाज

एक कार्यक्रम में उद्योगपति राहुल बजाज ने सरकार द्वारा आलोचनाओं को दबाने का मुद्दा उठाया। इसके अलावा उन्होंने

अर्थव्यवस्था में जब भी सुस्ती का दौर आता है, सरकारी नीतियां कमजोर पड़ती दिखती हैं। उद्योग धंधे में लोगों की पीड़ा बढ़ती है तो सबसे पहले आवाज उद्यम क्षेत्र की मुखर हस्तियां उठाती हैं। लेकिन 2019 में मौजूदा भाजपा की अगुवाई वाली सरकार के खिलाफ सिर्फ कुछ एक ही आवाजें उठीं। इनमें एक प्रमुख आवाज वयोवृद्ध उद्यमी राहुल बजाज की है जिन्होंने कहा कि कारोबार जगत के लोग मौजूदा सरकार की आलोचना में कुछ कहने से डरते हैं। 
सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में 4.5 प्रतिशत के छह साल के निचले स्तर पर आ गई है। विनिर्माण उत्पादन घटा है और उपभोक्ता मांग के साथ साथ निजी निवेश भी कमजोर हुआ है। इसके बावजूद कॉरपोरेट जगत के बहुत कम नेता ऐसे रहे जिन्होंने इस पर अपनी बात रखी। पर मौजूदा स्थिति के बारे में आलोचना का स्वर उठाने वालों में बजाज के अलावा किरण मजूमदार शॉ और अजय पीरामल जैसे कुछ एक नाम प्रमुख हैं। 

CAA : मेरठ हिंसा में मारे गए लोगों के परिजनों से बिना मिले वापस लोटे राहुल और प्रियंका

देश का वाहन क्षेत्र बिक्री में सबसे लंबी गिरावट के दौर में है। इस दौरान वाहन क्षेत्र में करीब 3.5 लाख नौकरियां कम हुई हैं। एफएमसीजी क्षेत्र इस बात को लेकर चिंतित है कि आज उपभोक्ता पांच रुपये का कोई पैक लेने से पहले भी दो बार सोचता है। दूरसंचार क्षेत्र तो दबाव में है ही, बिजली क्षेत्र की स्थिति भी ठीक नहीं है। कभी जिन्हें ‘मौन’ प्रधानमंत्री कहा जाता था आज वही मनमोहन सिंह उद्योग की ओर से आवाज उठा रहे हैं। 
उद्योग कभी उन्हें नीतिगत मोर्चे पर सुस्ती के लिए जिम्मेदार ठहराता था। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने 18 नवंबर को एक लेख में कहा है कि आज हमारे समाज में भय का माहौल है। सिंह ने लिखा है, ‘‘कई उद्योगपतियों ने मुझे बताया है कि आज वे सरकारी अधिकारियों की ओर प्रताड़ना के भय में रह रहे हैं। बैंकर नया कर्ज देने से कतरा रहे हैं। उद्यमी नयी परियोजनाओं को आगे बढ़ाते हिचकिचा रहे हैं। 
आर्थिक वृद्धि का नया इंजन कहा जाने वाले प्रौद्योगिकी स्टार्ट अप्स अब निगरानी और संदेह के बीच काम कर रहे हैं। एक कार्यक्रम में उद्योगपति राहुल बजाज ने सरकार द्वारा आलोचनाओं को दबाने का मुद्दा उठाया। इसके अलावा उन्होंने कई अन्य मुद्दे उठाए। उद्योग जगत के दिग्गज ने कहा, ‘‘यह डर का माहौल है। 
निश्चित रूप से यह हमारे मन में है। आप यानी सरकार अच्छा काम कर रही है, लेकिन इसके बावजूद हमारे पास यह भरोसा नहीं है कि आप आलोचना को खुले मन से लेंगे।’’ इस मौके पर गृह मंत्री अमित शाह, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल मौजूद थे। बजाज ने जैसे कहा था कि सरकार आलोचना नहीं सुनना चाहती है, इसकी प्रतिक्रिया सीतारमण की ओर से देखने को मिली। 
बजाज के बयान के बाद सीतारमण ने कहा कि अपने विचारों का प्रसार करने से राष्ट्रीय हित प्रभावित हो सकता है। बजाज को इस मामले में बायोकॉन की चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक किरण मजूमदार शॉ का समर्थन मिला। शॉ ने उम्मीद जताई कि सरकार उपभोग और वृद्धि को बढ़ाने के लिए उद्योग जगत से बातचीत करेगी। बजाज पर सीतारमण की प्रतिक्रिया के बाद शॉ ने जवाब दिया, ‘‘मैडम हम न तो राष्ट्र विरोधी हैं और न ही सरकार विरोधी।’’ 
हालांकि, आरपी-संजीव गोयनका समूह के चेयरमैन संजीव गोयनका ने इंडिया टुडे के सम्मेलन पूर्व-2019 को संबोधित करते हुए कहा कि उद्योगपतियों में किसी तरह का भय नहीं है। उन्होंने नरेंद्र मोदी सरकार की इस बात के लिए सराहना की कि वह विकास का लाभ आम आदमी तक पहुंचाने के लिए कदम उठा रही है। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।