LIC का हुआ आईडीबीआई बैंक - Punjab Kesari
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LIC का हुआ आईडीबीआई बैंक

गर्ग ने बताया कि एलआईसी के पास पहले से बैंक की सात से साढ़े सात प्रतिशत है। बहुलांश

नई दिल्ली : भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) को सार्वजनिक क्षेत्र के आईडीबीआई बैंक में तरजीही शेयरों के जरिये 51 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए निदेशक मंडल की मंजूरी मिल गई है। आर्थिक मामलों के सचिव एस सी गर्ग ने आज यह जानकारी दी। कर्ज के बोझ से दबा आईडीबीआई बैंक सार्वजनिक क्षेत्र की बीमा कंपनी को तरजीही शेयर जारी कर पूंजी जुटाएगा।

गर्ग ने कहा कि ज्यादा संभावना तरजीही शेयर आवंटन की है। बैंक को पूंजी की जरूरत है। वे तरजीही शेयर जारी करेंगे। यही तरीका होगा। गर्ग एलआईसी के निदेशक मंडल के सदस्य भी हैं। यहां एक बैठक के बाद गर्ग ने कहा कि एक अन्य तरीका है कि एलआईसी सरकार से उसके खरीद ले लेकिन उसमें बैंक को पूंजी नहीं मिलेगी। ऐसे में बेहतर तरीका यही समझा गया (कि इस बैंक का अधिग्रहण किया जाए। एलआईसी इसके लिए अब भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) की मंजूरी के लिए जाएगा क्यों की खरीदा जा रहा बैंक बाजार में सूचीबद्ध है।

बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) एलआईसी को इस सौदे के लिए हरी झंडी दे चुका है। गर्ग ने यह भी संकेत दिया कि सेबी के नियमनों के तहत संभवत: खुली पेशकश नहीं लाई जाएगी, क्योंकि बैंक में सार्वजनिक हिस्सेदारी काफी सीमित है। उन्होंने कहा कि बैंक में सार्वजनिक हिस्सेदारी सिर्फ पांच प्रतिशत है। जरूरी होने पर वे खुली पेशकश ला सकते हैं, लेकिन इस मामले में यह कोई बहुत उपयोगी नहीं साबित होगा। गर्ग ने बताया कि एलआईसी के पास पहले से बैंक की सात से साढ़े सात प्रतिशत है। बहुलांश हिस्सेदारी के लिए वह शेष हिस्से का अधिग्रहण करेगी।

गर्ग ने हालांकि यह नहीं बताया कि इस हिस्सेदारी बिक्री से आईडीबीआई बैंक को कितनी पूंजी मिलेगी। हालांकि, सूत्रों ने बताया कि एलआईसी द्वारा हिस्सेदारी खरीदने से कर्ज के बोझ से दबे बैंक को करीब 10,000 करोड़ से 13,000 करोड़ रुपये का पूंजी समर्थन मिलेगा। बहुलांश हिस्सेदारी के अधिग्रहण के बाद एलआईसी बैंक के निदेशक मंडल में कम से कम चार सदस्यों की नियुक्ति कर सकेगी। एलआईसी सार्वजनिक क्षेत्र की आईडीबीआई बैंक में बहुलांश हिस्सेदारी खरीदकर बैंकिंग क्षेत्र में उतरने की तैयारी कर रही है।

बैंक की दबाव वाली संपत्तियों के बावजूद इससे उसे कारोबारी तालमेल मिलेगा। एलआईसी को करीब 2,000 शाखाएं उपलब्ध होंगी जिनके जरिये वह अपने उत्पाद बेच सकेगी। वहीं बैंक को एलआईसी से भारी कोष मिलेगा। इस सौदे से बैंक को करीब 22 करोड़ पालिसीधारकों के खाते और कोष का प्रवाह मिलेगा। एक बार यह सौदा पूरा हो जाने के बाद भारी गैर निष्पादित आस्तियों (एनपीए) के बोझ से दबे बैंक को बेहद जरूरी पूंजीगत समर्थन मिल सकेगा।

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