2023-24 में विदेशी निवेशकों को भाया भारतीय शेयर बाजार, 2 लाख करोड़ का किया निवेश Indian Stock Market Liked By Foreign Investors In 2023-24, Investment Of Rs 2 Lakh Crore
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2023-24 में विदेशी निवेशकों को भाया भारतीय शेयर बाजार, 2 लाख करोड़ का किया निवेश

चुनौतीपूर्ण वैश्विक माहौल के बीच देश की मजबूत आर्थिक बुनियाद के चलते विदेशी निवेशकों ने वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय शेयर बाजार में दो लाख करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है। मजार्स इन इंडिया के प्रबंध भागीदार भारत धवन ने कहा कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्वानुमान सर्तकता के साथ आशावादी है। प्रगतिशील नीतिगत सुधारों, आर्थिक स्थिरता और आकर्षक निवेश अवसरों के चलते एफपीआई प्रवाह जारी रहने की उम्मीद है।

  • विदेशी निवेशकों ने 2023-24 में दो लाख करोड़ रुपये का निवेश किया
  • वित्त वर्ष 2024-25 के लिए पूर्वानुमान सर्तकता के साथ आशावादी है
  • पिछले दो वर्षों में यह जोरदार वापसी देखने को मिली है

इक्विटी बाजारों में 2.08 लाख करोड़ का निवेश

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उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि, हम वैश्विक भू-राजनीतिक प्रभाव को लेकर सचेत हैं, जिनके चलते बीच-बीच में अस्थिरता आ सकती है, लेकिन हम बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने में रणनीतिक योजना और तत्परता के महत्व पर जोर देते हैं।” विंडमिल कैपिटल के स्मॉलकेस प्रबंधक और वरिष्ठ निदेशक नवीन के आर ने कहा कि एफपीआई के नजरिये से 2024-25 की संभावनाएं मजबूत बनी हुई हैं। डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष 2023-24 में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (एफपीआई) ने भारतीय इक्विटी बाजारों में लगभग 2.08 लाख करोड़ रुपये और ऋण या बॉन्ड बाजार में 1.2 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध निवेश किया है। उन्होंने कुल मिलाकर पूंजी बाजार में 3.4 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया। पिछले दो वित्त वर्षों में शेयरों से शुद्ध निकासी के बाद यह जोरदार वापसी देखने को मिली है।

2022-23 में FPI ने शेयर बाजार से 37,632 करोड़ निकाले

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वित्त वर्ष 2022-23 में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजार से शुद्ध रूप से 37,632 करोड़ रुपये निकाले थे। मॉर्निंगस्टार इन्वेस्टमेंट रिसर्च इंडिया के एसोसिएट निदेशक- शोध प्रबंधक हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका और ब्रिटेन जैसे विकसित बाजारों में मुद्रास्फीति और ब्याज दर की दिशा, मुद्रा की स्थिति, कच्चे तेल की कीमतों, भू-राजनीतिक परिदृश्य और घरेलू अर्थव्यवस्था की मजबूती जैसे कारकों से एफपीआई प्रवाह सकारात्मक रहा। उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक उथल-पुथल के बीच भारत की अर्थव्यवस्था अधिक मजबूत और स्थिर रही, जिससे विदेशी निवेशक आकर्षित हुए।

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