डीबीटी सिस्टम ने भारत में 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत की है। इस प्रणाली ने सब्सिडी आवंटन को 16% से घटाकर 9% कर दिया है। आधार-लिंक्ड ऑथेंटिकेशन से फेक लाभार्थियों की संख्या कम हुई है, जिससे राजकोषीय व्यय के बिना कवरेज का विस्तार हो पाया है।
भारत के प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी सिस्म के तहत लीकेज में कमी आने के साथ कुल 3.48 लाख करोड़ रुपये की बचत हुई है। पीएम मोदी के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा शुरू किए गए इस सिस्टम के शुभारंभ के बाद से लाभार्थीं कवरेज में 11 करोड़ से 176 करोड़ तक 16 गुना वृद्धि दर्ज की गई है। लीकेज को रोकने के लिए इस सिस्टम के तहत पैसा सीधे लाभार्थियों के बैंक खातों में भेजा जाता है। परिणामस्वरूप सब्सिडी आवंटन कुल व्यय के 16 प्रतिशत से घटकर 9 प्रतिशत हो गया है। स्टडी में कहा गया है, डीबीटी ने लीकज पर अंकुश लगाने और ट्रांसपेरेंसी को बढ़ावा देने के साथ फंड वितरण को लेकर सटीकता सुनिश्चित की है।
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पॉलिसी डॉक्यूमेंट
इसी के साथ डीबीटी के साथ कल्याणकारी वितरण को दोबारा परिभाषित किया गया है। यह पॉलिसी डॉक्युमेंट बजट, सब्सिडी और सामाजक परिणामों पर डीबीटी के प्रभाव का आकलन करने के लिए एक दशक (2009-2024) के आंकडों का म्ल्यांकन करता है । पॉलिसी डॉक्यूमेंट में कहा गया है कि वेलफेयर एफिसिएंसी इंडेक्स 2014 में 0.32 से बढ़कर 2023 में 0.91 हो गया है।यह इडेक्स राजकोषीय और सामाजिक लाभों को मापता है।
सब्सिडी आवंटन में गिरावट दर्ज
डॉक्यमेंट अनुसार, 2009-10 में कल्याण बजट मे 2.1 लाख करोड़ रुपये से 2023- 24 में 8.5 लाख करोड़ रुपये की वृदधि बावजूद सब्सिडी आवंटन में गिरावट दर्ज की गई है, जो कि डीबीटी की सफलता को दर्शाता है। डॉक्युमेंट के अनुसार, फूड सब्सिडी कुल बचत का 53 प्रतिशत हिस्सा है, जबकि एमजोएनआरइजीएस और पीएम- किसान जैसे कार्यक्रमों के तहत समय पर मजदूरी हस्तांतरण कर 22,106 करोड़ रुपये की बचत हासिल की गई। आधार-लिंक्ड ऑथेंटिकेशन ने फेक लाभार्थियों को कम करने में मदद की, जिससे राजकोषीय व्यय के बिना कवरज का विस्तार हो पाया स्टडी में मिक्स्ड-मेथड अप्रोच का इस्तेमाल किया गया था।