भारत सरकार ने कहा है कि भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था 2030 वर्ष तक देश की समग्र अर्थव्यवस्था में लगभग पांचवें हिस्से का योगदान देगी, जो पारंपरिक क्षेत्रों की वृद्धि से आगे निकल जाएगी पिछले एक दशक में, डिजिटल-सक्षम उद्योग 17.3 प्रतिशत की दर से बढ़े हैं, जो समग्र रूप से अर्थव्यवस्था की 11.8 प्रतिशत की वृद्धि दर से काफी अधिक है। ‘भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था की स्थिति रिपोर्ट 2024’ के अनुसार 2022-23 में, डिजिटल अर्थव्यवस्था में 14.67 मिलियन कर्मचारी या भारत के कार्यबल का 2.55 प्रतिशत हिस्सा होगा, इनमें से अधिकांश नौकरियां (58.07 प्रतिशत) डिजिटल-सक्षम उद्योग में होंगी।
भारत तीसरा सबसे बड़ा डिजिटल देश
आईटी मंत्रालय ने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार, भारत अर्थव्यवस्था-व्यापी डिजिटलीकरण के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा डिजिटल देश है और व्यक्तिगत उपयोगकर्ताओं के डिजिटलीकरण के स्तर पर जी20 देशों में 12 वें स्थान पर है। इसका मतलब यह है कि छह साल से भी, कम समय में देश में डिजिटल अर्थव्यवस्था की हिस्सेदारी कृषि या विनिर्माण से भी बड़ी हो जाएगी। भारत की डिजिटल अर्थव्यवस्था इसकी आर्थिक वृद्धि में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता क रूप में उभरी है, जो 2022-23 में सकल ‘घरेलू उत्पाद (31.64 लाख करोड़ रुपये या 402 बिलियन डॉलर) का 11.74 प्रतिशत हिस्सा है।
छोटे शाहरों में आक्रामक भर्तियां कर रहीं कंपनियां
देश की बड़ी कंपनियां लागत घटाने और प्रतिभाओं तक आसानी से पहंचने के लिए अब लखनऊ एवं जोधपुर जैसे बोटे शहरों में कार्यालंय खोल रही हैं और आक्रामक तरीके से भर्तियां भी कर रही हैं। कंपनियों के छोटे शहरों की ओर रुख करने”‘की तीन बड़ी वजह हैं। पहला इन शहरां में कम खर्च होता है। दूसरा परिचालन लागत घटती है। तीसरा, कम वेतन पर अच्छे कर्मचारी मिल जाते हैं। वेदांता की एक वरिषप्ट अधिकारी के मुताबिक, इस साल कारोबार पुनर्गटन कारण कंपनी पूरे भारत में अच्छी संख्या में नियुक्तियां करने पर विचार कर रही है। इसमें प्रमुख रूप से टियर-2 और टियर-3 शहर शामिल हैं। वेदांता ने भुवनेश्वर, रांची, झारसुगुड़ा, रायपुर, बाड़मेर और कुछ पूर्वोत्तर राज्यों में बड़े स्तर पर लोगों की भर्तियां की है।
छोटे बिजनेस में 50% से अधिक ऑनर्स महिलाएं
असंगठित क्षेत्र उद्यमों के वार्षिक सर्वेक्षण 2023-24 के नतीजों से पता चला कि 2023-24 में विनिर्माण क्षेत्र में लगभग 58 प्रतिशत प्रतिष्ठानों का नेतृत्व महिला ऑनर्स के हाथों में होगा, जो पिछले एक तिहाई (33.7 प्रतिशत) से अधिक हिस्सा बनाती हैं। महिला ऑनर्स के नेतृत्व वाले प्रतिष्ठानों की हिस्सेदारी 2022-23 में 22.9 प्रतिशत से बढ़कर 2023-24 में 26.2 प्रतिशत हो गई है और अन्य सेवाओं के लिए 9.7 प्रतिशत से बढ़कर 14.2 प्रतिशत हो गई है। किराए व श्रमिकों के मामले में कुल श्रमिकों में महिला श्रमिकों का प्रतिशत हिस्सा 18.5प्रतिशत अनुमानित किया गया था। विनिर्माण क्षेत्र में महिला श्रमिकों की भागीदारी सबसे अधिक (46.5प्रतिशत) रही, उसके बाद अन्य सेवाओं (22.5) 1 और व्यापार (19.21प्रतिशत) का स्थान रहा।