नई दिल्ली : चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया के यात्रियों की संख्या महज चार फीसदी बढ़ी हो, लेकिन इसी दौरान यात्रियों से होने वाली उसकी आय में 20 प्रतिशत का इजाफा हुआ है। कंपनी के अधिकारियों के अनुसार विमानों के बेहतर उपयोग से आय में तेज वृद्धि संभव हो सकी।
कंपनी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि विमान बेड़े का प्रभावी और समुचित उपयोग करने से यात्रियों से होने वाली आय 2018-19 की अक्टूबर-दिसंबर तिमाही में बढ़कर 5,538 करोड़ रुपये रही है। जबकि 2017-18 की इसी तिमाही में यह आंकड़ा 4,615 करोड़ रुपये था। अधिकारी ने बताया कि उसके यात्रियों की संख्या भी इस अवधि में चार प्रतिशत बढ़कर 55.27 लाख रही जो पिछले साल समान अवधि में 53.28 लाख थी।
अधिकारी ने कहा कि यह दिखाता है कि हमारे यात्रियों की संख्या भले ही चार प्रतिशत बढ़ी हो लेकिन हमारी प्रति किलोमीटर सीट उपलब्धता बहुत तेजी से बढ़ी है। किसी कंपनी के लिए प्रति किलोमीटर सीट उपलब्धता का आशय एक विमान में यात्रियों को ले जाने की क्षमता और एक निश्चित अवधि में विमान द्वारा तय किलोमीटर दूरी के गुणनफल के बाराबर होती है। यह पैमान पूरी एक एयरलाइन के संबंध में इस्तेमाल किया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय रूट से आता है 65% रेवेन्यू : एयर इंडिया के अधिकारी के मुताबिक, दिसंबर में यात्री संख्या की ग्रोथ ज्यादा नहीं रही। लेकिन, अवेलेबल सीट किलोमीटर में (एएसकेएम) अच्छी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। एएसकेएम से किसी एयरक्राफ्ट की यात्रियों को ले जाने की क्षमता का पता चलता है। सिर्फ दिसबंर महीने की बात की जाए तो एयर इंडिया के यात्रियों की संख्या सिर्फ 4% बढ़ी लेकिन रेवेन्यू में 23% इजाफा हुआ। एयर इंडिया के कुल रेवेन्यू का 65% अंतरराष्ट्रीय रूट्स पर संचालन से आता है।
एयर इंडिया पर 48,000 करोड़ रुपए का कर्ज : दिसंबर तिमाही में एयर इंडिया ने 15 नई उड़ानें शुरू कीं। इसके बेड़े में फिलहाल 122 एयरक्राफ्ट शामिल हैं। वित्तीय संकट से जूझ रही एयर इंडिया पर 48,000 करोड़ रुपए का कर्ज है। पिछले साल मई में सरकार ने एयर इंडिया की हिस्सेदारी बेचने की कोशिश की लेकिन, खरीदार नहीं मिल पाया था।
पिछले दिनों सरकार ने कहा था कि एयर इंडिया को कर्ज से उबारने के लिए नई योजना तैयार की गई है। एयर इंडिया से जुड़ी चिंताओं पर नागर विमानन मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि कंपनी की भविष्य की कमाई उसके भारी भरकम ऋण का निबटारा नहीं कर सकती और विरासत में मिली इस समस्या को कंपनी की वर्तमान चुनौतियों से अलग नहीं किया जा सकता है।