नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय को उम्मीद है कि चालू वित्त वर्ष में तीन से चार बैंक भारतीय रिजर्व बैंक की त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई (पीसीए) निगरानी सूची से बाहर हो जायेंगे। मंत्रालय का मानना है कि दिशानिर्देशों में अपेक्षित संशोधन और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मुनाफे में सुधार के बाद ऐसा संभंव है। सूत्रों ने यह बात कही।
भारतीय रिजर्व बैंक ने 21 सरकारी बैंक में से 11 बैंकों को पीसीए के ढांचे में रखा है। ये कमजोर बैंकों पर कर्ज और अन्य अंकुश लगाता है। इनमें इलाहाबाद बैंक, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया, कॉरपोरेशन बैंक, आईडीबीआई बैंक, यूको बैंक, बैंक ऑफ इंडिया, सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक, ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, देना बैंक और बैंक ऑफ महाराष्ट्र शामिल हैं।
पिछले सप्ताह आरबीआई ने अपनी केंद्रीय बोर्ड की बैठक में निर्णय लिया कि पीसीए के तहत बैंकों के मुद्दे की जांच केंद्रीय बैंक का वित्तीय निगरानी बोर्ड (बीएफएस) करेगा। सूत्रों ने कहा कि दिवाला एवं ऋण शोधन अक्षमता संहिता (आईबीसी) के क्रियान्वयन समेत सरकार की ओर से उठाये गये विभिन्न कदमों से फंसे कर्ज पर लगाम लगाने में मदद मिली है और वसूली में सुधार आया है।
उन्होंने कहा कि इसलिये आईबीसी के चलते बैंकों के प्रदर्शन और वसूली में सुधार को देखते हुये उम्मीद है कि आरबीआई के बीएफएस की समीक्षा में 3 से 4 बैंक मार्च, 2019 के अंत तक त्वरित सुधारात्मक कार्रवाई की रूपरेखा से बाहर आ जायेंगे। बैंकों ने पहली तिमाही के दौरान 36,551 करोड़ रुपये की वसूली की ,जो कि पिछले वित्त वर्ष की इसी तिमाही से 49 प्रतिशत अधिक है।