नई दिल्ली : भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अपनी एक रपट में देश के खाद्य नियामक भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) की लाइसेंस प्रक्रिय और खराब अवस्था वाली उसकी खाद्य जांच प्रयोगशालाओं पर सवाल उठाए हैं। अपनी खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम-2006 अनुपालन प्रदर्शन ऑडिट रपट में कैग ने कहा है कि एफएसएसएआई देश में असुरक्षित खाद्य पदार्थों के आयात को रोकने में भी नाकाम रहा है।
कैग के अनुसार एफएसएसएआई ने खाद्य कारोबार करने वालों से पूरे आवश्यक दस्तावेज प्राप्त हुए बिना ही लाइसेंस जारी किए। इसके अलावा उसकी राज्य स्तरीय 72 प्रयोगशालाओं में से 65 के पास के नेशनल एक्रिडिटेशन बोर्ड फॉर टेस्टिंग एंड कैलिब्रेशन लैबोरेटरीज (एनएबीएल) की मान्यता भी नहीं है। कैग ने कहा कि खाद्य कारोबार करने वालों के पचास प्रतिशत से ज्यादा मामलों में दस्तावेज अपूर्ण हैं और इसके बावजूद उन्हें लाइसेंस जारी किया गया है। पांच राज्य स्तरीय लाइसेंस प्राधिकरण और तीन केंद्रीय लाइसेंस प्राधिकरणों द्वारा बांटे गए 5915 लाइसेंसों की जांच में उसने पाया कि 3119 मामलों में दस्तावेज अपूर्ण थे।
कैग की ताजा रपट के अनुसार एफएसएसएआई ने विभिन्न विनियमों और मानकों को तैयार करने में कई प्रक्रियागत कमियां हैं और विनियमों में किए गए संशोधन कानून और उच्चतम न्यायालय के विशेष निर्देशों का उल्लंघन हैं। कैग ने यह भी देखा कि उसकी राज्य स्तरीय 72 प्रयोगशालाओं में से 65 को एनएबीएल से मान्यता नहीं मिली है। इतना ही नहीं, एफएसएसएआई की 16 प्रयोगशालाओं में से 15 में योग्य खाद्य विश्लेषक नहीं हैं। आयात पर कैग ने कहा कि एफएसएसएआई यह सुनिश्चित करने में भी विफल रहा कि सीमाशुल्क अधिकारी गैर-अनुरुपता रपट का अनुपालन ठीक से करें, ताकि देश में कोई असुरक्षित खाद्य पदार्थ प्रवेश नहीं कर पाए।
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