आईसीयू की ओर बढ़ रही है इकोनॉमी : अरविंंद सुब्रमण्यन - Punjab Kesari
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आईसीयू की ओर बढ़ रही है इकोनॉमी : अरविंंद सुब्रमण्यन

अरविंद सुब्रमण्यन का कहना है कि देश की मौजूदा आर्थिक सुस्ती बहुत बड़ी (ग्रेट स्लोडाउन) है। ऐसा लग

कैम्ब्रिज : पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यन का कहना है कि देश की मौजूदा आर्थिक सुस्ती बहुत बड़ी (ग्रेट स्लोडाउन) है। ऐसा लग रहा है कि अर्थव्यवस्था आईसीयू की तरफ बढ़ रही है। ट्विन बैलेंस शीट (टीबीएस) संकट की दूसरी लहर इकोनॉमी को प्रभावित कर रही है। सुब्रमण्यन ने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पेपर प्रजेंटेशन के दौरान ऐसा कहा। 
सुब्रमण्यन ने दिसंबर 2014 में भी टीबीएस की समस्या को लेकर चेतावनी दी थी, उस वक्त वे मुख्य आर्थिक सलाहकार थे। टीबीएस का मतलब कॉर्पोरेट के कर्ज नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) होने से है, इससे बैंकों की मुश्किलें बढ़ती हैं। यानी एक तरफ उद्योगपति परेशानी में हैं, इसलिए वे नया निवेश नहीं कर पाएंगे। दूसरी ओर बैंकों का एनपीए बढ़ेगा तो वे ज्यादा कर्ज नहीं दे पाएंगे। इससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होगी। 
पूर्व मुख्य आर्थिक सलाहकार ने नए रिसर्च पेपर में 2004 से 2011 तक स्टील, पावर और इन्फ्रा सेक्टर के कर्ज जो कि एनपीए में बदल गए उन्हें टीबीएस-1 कहा। टीबीएस-2 से उनका आशय प्रमुख रूप से नोटबंदी के बाद नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों और रिएल एस्टेट फर्मों के नकदी संकट से है। जीडीपी ग्रोथ सितंबर तिमाही में 4.5% रह गई। यह 6 साल में सबसे कम है। सुब्रमण्यन का कहना है कि एक्सपोर्ट, इंपोर्ट और सरकार के राजस्व के आंकड़े भी बताते हैं कि अर्थव्यवस्था की स्थिति गंभीर है।
IL&FS संकट भूकंप जैसी घटना
इसके साथ ही सुब्रमण्यन ने देश की सबसे बड़ी इंफ्रा लेंडर ग्रुप यानी सड़क पुल और बिल्डिंग बनाने वाली कंपनी आईएलएंडएफएस के संकट को भूकंप जैसी घटना करार दिया है। उन्होंने कहा कि आईएलएंडएफएस के संकट से सिर्फ 90,000 करोड़ रुपये के कर्ज का खुलासा नहीं हुआ, बल्कि बाजार पर बुरा असर पड़ा। वहीं पूरे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों सेक्टर को लेकर सवाल खड़े हो गए।

क्या है IL&FS का मामला?
आईएलएंडएफएस सरकारी क्षेत्र की कंपनी है और इसकी कई सहायक कंपनियां हैं। इसे नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनी यानी एनबीएफसी का दर्जा मिला है। अस्सी के दशक में इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स को कर्ज देने के मकसद से इसको बनाया गया था। इस कंपनी को लगातार अच्छे प्रोजेक्ट्स मिल रहे थे और रेटिंग एजेंसियां भी रेटिंग बेहतर देती जा रही थीं। 
लेकिन बाद में पता चला कि आईएलएंडएफएस पर 90 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज है।इस खुलासे ने हर किसी को हैरान कर दिया। खुलासों में ये भी पता चला कि मैनेजमेंट ने फायदे के लिए नियमों की अनदेखी की और बैलेंसशीट को लेकर गुमराह किया।

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