क्रिसिल रेटिंग्स ने सोमवार को दावा किया कि भारतीय डेटा सेंटर उद्योग की क्षमता वित्त वर्ष 2027 तक दोगुनी से भी अधिक होकर 2-2.3 गीगावाट हो जाएगी, जिसका श्रेय अर्थव्यवस्था में बढ़ते डिजिटलीकरण को जाता है। उद्यम क्लाउड स्टोरेज में तेजी से निवेश कर रहे हैं।
इसके अलावा, रेटिंग एजेंसी के अनुसार, जनरेटिव आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (जेनएआई) की बढ़ती पैठ से मध्यम अवधि में मांग बढ़ने की उम्मीद है। जेनएआई की तीव्र प्रगति, जिसके लिए पारंपरिक क्लाउड कंप्यूटिंग कार्यों की तुलना में अधिक कम्प्यूटेशनल शक्ति और कम विलंबता की आवश्यकता होती है, इससे भारत में डेटा सेंटर की मांग भी बढ़ेगी।
डेटा सेंटर आम तौर पर नेटवर्क सर्वरों का एक बड़ा समूह होता है जिसका उपयोग संगठन बड़ी मात्रा में डेटा के दूरस्थ भंडारण या वितरण के लिए करते हैं। डेटा स्थानीयकरण योजनाओं से डेटा केंद्रों में निवेश बढ़ने की उम्मीद है, इसके अलावा विभिन्न राज्यों द्वारा ऐसे निवेशों को आकर्षित करने के लिए प्रोत्साहन भी दिए जाएँगे।
डेटा सेंटर कंप्यूटिंग और स्टोरेज इंफ्रास्ट्रक्चर की मांग को पूरा करते हैं, जो दो प्राथमिक कारकों द्वारा संचालित होता है। पहला, उद्यम तेजी से अपने व्यवसायों को क्लाउड सहित डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर स्थानांतरित कर रहे हैं, यह एक प्रवृत्ति है जो कोविड-19 महामारी के बाद तेज हो गई है। दूसरा, हाई-स्पीड डेटा की बढ़ती पहुँच ने सोशल मीडिया, ओवर-द-टॉप (OTT) प्लेटफ़ॉर्म और डिजिटल भुगतान सहित इंटरनेट के उपयोग में उछाल ला दिया है।
क्रिसिल के अनुसार, पिछले पाँच वित्तीय वर्षों में मोबाइल डेटा ट्रैफ़िक ने 25 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) दर्ज की है। वित्त वर्ष 2024 के अंत में यह 24 जीबी प्रति माह था और वित्त वर्ष 2026 तक इसके 33-35 जीबी तक बढ़ने की उम्मीद है।
क्रिसिल रेटिंग्स के वरिष्ठ निदेशक और उप मुख्य रेटिंग अधिकारी मनीष गुप्ता ने कहा कि डेटा सेंटर की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए अगले तीन वित्त वर्षों में 55,000-65,000 करोड़ रुपये के निवेश की आवश्यकता है, जो मुख्य रूप से भूमि और भवन, बिजली उपकरण और शीतलन समाधानों पर खर्च किए जाएंगे।