भारत की बिजली उत्पादन क्षमता में कोयले की हिस्सेदारी 1960 के बाद पहली बार 50% से कम Coal's Share In India's Power Generation Capacity Less Than 50% For The First Time Since 1960
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भारत की बिजली उत्पादन क्षमता में कोयले की हिस्सेदारी 1960 के बाद पहली बार 50% से कम

भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में कोयले की हिस्सेदारी 1960 के दशक के बाद पहली बार 2024 की पहली तिमाही में 50 प्रतिशत से कम रही। इंस्टीट्यूट फॉर एनर्जी इकोनॉमिक्स एंड फाइनेंशियल एनालिसिस (IEEFA) की नवीनतम ‘पावरअप’ त्रैमासिक रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2024 की पहली तिमाही (जनवरी-मार्च) में रिकॉर्ड 13,669 मेगावाट बिजली उत्पादन क्षमता में नवीकरणीय ऊर्जा की हिस्सेदारी 71.5 प्रतिशत थी।

  • भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में कोयले की हिस्सेदारी 50% से कम रही
  • 1960 के दशक के बाद पहली बार 2024 इसकी हिस्सेदारी 50% से कम रही
  • G7 देशों में कोयले की मांग 2023 में रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है

1960 के बाद पहली बार 50% से कम रही हिस्सेदारी

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भारत की कुल बिजली उत्पादन क्षमता में लिग्नाइट सहित कोयले की हिस्सेदारी 1960 के दशक के बाद पहली बार 50 प्रतिशत से कम रही। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत 2030 तक गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित स्रोतों से 50 प्रतिशत संचयी बिजली उत्पादन क्षमता हासिल करने के लक्ष्य में काफी आगे है। बिजली उत्पादन क्षमता में कोयले की हिस्सेदारी में गिरावट एक वैश्विक प्रवृत्ति को दर्शाती है। जी7 देशों में कोयले की मांग 2023 में रिकॉर्ड निचले स्तर पर पहुंच गई है। यह 1900 के बाद से नहीं देखा गया है।

मंदी के बाद बाजार में आई तेजी

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IEEFA के निदेशक (दक्षिण एशिया) विभूति गर्ग ने कहा, ‘‘आपूर्ति-श्रृंखला के मुद्दों, कोविड​​-19 वैश्विक महामारी और रूस के यूक्रेन पर आक्रमण के कारण वैश्विक स्तर पर मूल्य बढ़ने से 2019 से 2022 तक मंदी के बाद, बाजार में तेजी आई है।’’ एम्बर की 80 देशों की पांचवीं वार्षिक वैश्विक बिजली समीक्षा के अनुसार, भारत दुनिया की सौर ऊर्जा उत्पादन रैंकिंग में चीन और अमेरिका के बाद तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। भारत 2030 तक नवीकरणीय क्षमता को तीन गुना करने का लक्ष्य रखने वाले कुछ देशों में से एक है।

नोट – इस खबर में दी गयी जानकारी निवेश के लिए सलाह नहीं है। ये सिर्फ मार्किट के ट्रेंड और एक्सपर्ट्स के बारे में दी गयी जानकारी है। कृपया निवेश से पहले अपनी सूझबूझ और समझदारी का इस्तेमाल जरूर करें। इसमें प्रकाशित सामग्री की जिम्मेदारी संस्थान की नहीं है। 

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पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।