बैंक धोखाधड़ी : ईडी ने भूषण पावर एंड स्टील की 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की - Punjab Kesari
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बैंक धोखाधड़ी : ईडी ने भूषण पावर एंड स्टील की 4,000 करोड़ रुपये से ज्यादा की संपत्ति कुर्क की

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित बैंक रिण धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में भूषण

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने कथित बैंक रिण धोखाधड़ी से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड (बीपीएसएल) की 4,025 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की है। ईडी ने शनिवार को यह जानकारी दी। 
केंद्रीय जांच एजेंसी ने कहा कि उसने धनशोधन निरोधक अधिनियम (पीएमएलए) के तहत ओडिशा में कंपनी की जमीन , इमारत , संयंत्र और मशीनरी कुर्क की है। 
एजेंसी के इस अस्थायी आदेश के तहत कुल 4,025.23 करोड़ रुपये की संपत्ति कुर्क की गई है। इस मामले में यह कुर्की की पहली कार्रवाई है। आगे और कार्रवाई की जा सकती है। 
प्रवर्तन निदेशालय ने बयान में आरोप लगाया कि भूषण पावर एंड स्टील ने विभिन्न बैंकों से लिए कर्ज की राशि का हेरफेर करने के लिए कई तरीके अपनाये। 
इसमें कहा गया है कि कंपनी के तत्कालीन सीएमडी संजय सिंघल और उनके परिवार के सदस्यों ने भूषण पावर एंड स्टील में पूंजी के रूप में 695.14 करोड़ रुपये दिखाए। 
यह राशि बीपीएसएल के बैंक रिण का दुरुपयोग कर कृत्रिम तौर पर सृजित दीर्घकालिक पूंजी प्राप्ति में से पेश की गई। जब यह राशि दिखाई गई तब दीर्घकालिक पूंजीगत प्राप्ति को आयकर से छूट प्राप्त थी। 
ईडी ने कंपनी , सिंघल और अन्य के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप में सीबीआई की ओर से दर्ज प्राथमिकी का अध्ययन करने के बाद मनी लॉन्ड्रिंग (धनशोधन) का मामला दर्ज किया है। 
एजेंसी ने कहा कि बीपीएसएल ने पूंजीगत वस्तुओं की ‘ फर्जी खरीद ‘ दिखाकर विभिन्न इकाइयों को आरटीजीएस के माध्यम से भुगतान किया। 
ईडी ने कहा कि आरटीजीसी भुगतान के बदले में इन इकाइयों ने बीपीएसएल को नकदी हस्तांतरित की। इस राशि का उपयोग आपसी तालमेल के जरिये शेयरों के सौदे कर कंपनी के शेयरों का दाम बढ़ाकर उससे कृत्रिम तौर पर दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ सृजित किया गया। 
प्रवर्तक कंपनियों द्वारा 3,330 करोड़ रुपये की अन्य राशि का इक्विटी निवेश दिखाया गया। यह भी विभिन्न बैंक रिणों से प्राप्त राशि के जरिये किया गया। बैंक रिण से प्राप्त इस धन को बीपीएसएल के खातों से विभिन्न मुखौटा कंपनियों को दिये गये अग्रिम के रूप में दिखाया गया। इन कंपनियों को एंट्री आपरेटरों द्वारा चलाया जाता था। 

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