बैंक कर्जों को मंजूरी देने के लिये हो एक केन्द्रीय एजेंसी - Punjab Kesari
Girl in a jacket

बैंक कर्जों को मंजूरी देने के लिये हो एक केन्द्रीय एजेंसी

‘इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया ने बैंकों से दिये जाने वाले बड़े कर्ज प्रस्तावों की जांच-परख के

नई दिल्ली : बैंकों के फंसे कर्ज की गहराती समस्या के बीच लागत लेखाकारों की शीर्ष संस्था ‘इंस्टीट्यूट ऑफ कॉस्ट अकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया (आईसीएआई)’ ने बैंकों से दिये जाने वाले बड़े कर्ज प्रस्तावों की जांच-परख के लिये एक केन्द्रीय एजेंसी बनाने का सुझाव दिया है।इसका कहना है कि इस एजेंसी में लागत लेखाकारों के साथ साथ विभिन्न क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों को भी शामिल किया जाना चाहिये ताकि कर्ज फंसने के मामलों में कमी लाई जा सके। ‘इंस्टीटयूट आफ कास्ट एकाउंटेंटस आफ इंडिया’ के राष्ट्रीय अध्यक्ष संजय गुप्ता ने ‘भाषा’ से खास बातचीत में कहा कि बैंकों से जो भी बड़े कर्ज दिये जाते हैं उन सभी की जांच परख करने के लिये वित्त मंत्रालय द्वारा एक केन्द्रीय एजेंसी का गठन किया जाना चाहिये।

ऐसे प्रस्तावों का लागत मूल्यांकन करने के साथ साथ परियोजना की दक्षता, वहनीयता को लेकर भी आडिट यानी उनकी लेखा परीक्षा होनी चाहिये। उल्लेखनीय है कि इन दिनों सार्वजनिक क्षेत्र के अनेक बैंक फंसे कर्ज यानी एनपीए की समस्या का सामना कर रहे हैं। यह समस्या विशेषतौर से इस्पात, बिजली, दूरसंचार तथा कुछ अन्य क्षेत्रों में ज्यादा है। कड़ी प्रतिस्पर्धा से बाजार मूल्य घटने अथवा मांग कमजोर पड़ने से इन क्षेत्रों की कंपनियां वित्तीय संकट में फंस गई।

गुप्ता का कहना है कि आमतौर पर हजारों करोड़ रुपये के बड़े कर्ज बैंकों के समूह द्वारा दिये जाते हैं। बड़े बैंकों के पास शोध एवं विकास के बेहतर साधन होते हैं वह कर्ज प्रस्ताव का बेहतर आकलन कर सकते हैं लेकिन कई छोटे बैंक है जिनके पास कर्ज प्रस्तावों का मूल्यांकन और लेखा आडिट करने की अच्छी सुविधायें नहीं हैं, ऐसे में कर्ज प्रस्तावों पर विचार करने वाली केन्द्रीय एजेंसी बेहतर भूमिका निभा सकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।