नई दिल्ली : दुनिया तेजी से डिजिटल होती जा रही है। एक जमाना था, जब हर काम नकदी से होता था, लेकिन अब क्रेडिट और डेबिट कार्ड चलता है। सरकार भी ‘डिजिटल इंडिया’ को जोर-शोर से प्रमोट करती है और कैशलेस लेन-देन को बढ़ावा दे रही है। ऐसे में यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि आज के जमाने में कोई व्यक्ति ऐसा भी होगा, जिसका कोई बैंक खाता नहीं है। मगर सच्चाई यह है कि दुनिया की एक बड़ी आबादी बैंकिंग सेवाओं से महरूम है और ऐसे वंचित लोगों की दूसरी सबसे बड़ी आबादी भारत में है।
विश्व बैंक की गुरुवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक, भारत के करीब 19 करोड़ वयस्कों का कोई बैंक खाता नहीं है, जबकि यह चीन के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी है। हालांकि देश में खाताधारकों की संख्या वर्ष 2011 में 35 फीसदी से बढ़कर 2017 में 80 फीसदी हो चुकी है। विश्व बैंक द्वारा जारी ‘वैश्विक फाइंडेक्स रिपोर्ट’ में कहा गया है, ‘हालांकि भारत में वित्तीय समावेशन में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है और खाताधारकों की संख्या जो 2011 में 35 फीसदी थी वह 2014 में बढ़कर 53 फीसदी हो गई और अब 2017 में बढ़कर 80 फीसदी हो गई है।
लेकिन देश की 80 फीसदी आबादी द्वारा बैंकिंग सेवाओं का लाभ उठाने के बावजूद बहुत बड़ी आबादी है, जो बैंकिंग सेवाओं से वंचित है और यह हाल केवल अपने देश का नहीं है, बल्कि चीन में ऐसे लोगों की संख्या कहीं ज्यादा है, जिनके पास बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध नहीं है।’ विश्व बैंक की रिपोर्ट में कहा गया है कि चीन में 22.5 करोड़ वयस्क बैंकिंग सेवाओं से वंचित है, जबकि भारत में यह आंकड़ा 19 करोड़ का है। इसके बाद पाकिस्तान में 10 करोड़ और इंडोनेशिया में 9.5 करोड़ वंचित आबादी है।
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