समय रैना के शो में यूट्यूबर-पॉडकास्टर रणवीर इलाहाबादिया के अश्लील जोक्स को लेकर लोगों में आक्रोश है। फिल्म निर्माता-निर्देशक विवेक रंजन अग्निहोत्री ने इस पर अपनी प्रतिक्रिया दी और बताया कि कॉमेडी के नाम पर अश्लीलता ‘सोशल नॉर्मलाइजेशन’ की थीम से उपजा है। इसके साथ ही उन्होंने लोगों से कई चुभने वाले सवाल भी किए।
विवेक रंजन की गिनती उन हस्तियों में की जाती है, जो न केवल गंभीर विषयों पर फिल्म का निर्माण करते हैं बल्कि मुखर होकर अक्सर अपनी बात सोशल मीडिया पर रखते भी नजर आते हैं। ऐसे में उन्होंने स्टैंड-अप कॉमेडी के नाम पर गाली-गलौज और अश्लीलता पर भी सहज अंदाज में राय रखी। इंस्टाग्राम पर एक वीडियो शेयर करते हुए विवेक रंजन ने कैप्शन में लिखा, “सोशल मीडिया पर इतनी नफरत और अश्लीलता क्यों? सामाजिक रूप से क्या स्वीकार्य है?”
शेयर किए गए वीडियो में अग्निहोत्री कहते नजर आए, “दोस्तों, आप सब जानते हैं कि स्टैंड-अप कॉमेडियंस आजकल चर्चा में हैं और लोग उन्हें कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग कर रहे हैं। फांसी की सजा ज्यादा हो जाएगी, लेकिन जो उन्होंने किया, उसका उन्हें सबक जरूर मिलना चाहिए क्योंकि यह सामाजिक रूप से स्वीकार्य नहीं है। यहां ध्यान देने वाली बात यह है कि यह एक सामाजिक विषय है, लेकिन इसे राजनीति से जोड़ देना, अदालतों में घसीटना या भीड़ के हवाले कर देना भी एक तरह की विकृति को पार करने जैसा है।”
अग्निहोत्री ने दर्शकों से पूछा, “अब मैं आपसे एक सीधा सवाल पूछना चाहता हूं। अगर आपको बोरे भर-भर के पैसे सिर्फ गाली-गलौज करने, अश्लीलता फैलाने, दूसरों की बेइज्जती करने और समाज में विकृति को सामान्य बनाने के लिए दिए जाएं, तो क्या आप ऐसा करने से बचेंगे, क्या आप ऐसा नहीं करेंगे? भारत में 150 करोड़ लोग रहते हैं, कितने ऐसे होंगे जो इस प्रलोभन से बच पाएंगे? अगर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म समाज में नफरत और हिंसा फैलाने के पैसे दे, इंस्टाग्राम छोटे बच्चों को हाइपर-सेक्शुअलाइज करने के लिए भुगतान करे, फेसबुक झूठ और अंधविश्वास को बढ़ावा दे, यूट्यूब गाली-गलौज, अंधविश्वास और फर्जी धर्मगुरुओं को प्रमोट करे, लिंक्डइन फेक मोटिवेशनल स्पीकर्स को आगे बढ़ाए तो क्या आप चुप रहेंगे?”
उन्होंने कहा, “अभी सब इन मुद्दों पर गुस्सा कर रहे हैं, लेकिन कुछ समय बाद यही लोग फिर से बड़े सेलिब्रिटी बन जाएंगे, जैसे पहले भी हो चुका है। जब बॉलीवुड के सबसे बड़े सितारे और निर्देशक स्टेज पर खड़े होकर यही सब कर रहे थे, तब देश के टॉप उद्योगपति, खिलाड़ी, लेखक कलाकार बैठकर हंस रहे थे, क्योंकि सबको ‘कूल’ दिखना था। आज के हिप-हॉप, भोजपुरी गानों, लोकगीतों और यहां तक कि धार्मिक गानों तक में जो कुछ हो रहा है, क्या आपने उसे देखा है? क्या आपको सिर्फ तब ही गुस्सा आता है, जब कोई चीज ट्रेंड करने लगती है? क्या आप गारंटी ले सकते हैं कि इस पूरे स्टैंड-अप कॉमेडियन विवाद के पीछे कोई सोशल मीडिया एजेंसी नहीं है? क्या यह अपने आप में एक सुनियोजित अभियान नहीं हो सकता?”
पेरेंट्स को आगाह करते हुए उन्होंने आगे कहा, “आपको यह कैसे पता कि अगले दो महीनों में कोई और बड़ा मुद्दा नहीं उछाला जाएगा और इसके पीछे किसकी मंशा होगी? इसलिए, अपने बच्चे को मोबाइल देने से पहले सौ बार सोचिए।”