बीते दशक में इन 12 बेहतरीन फिल्मों ने बदल दी मलयालम सिनेमा की दुनिया - Punjab Kesari
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बीते दशक में इन 12 बेहतरीन फिल्मों ने बदल दी मलयालम सिनेमा की दुनिया

आज हम आपको 12 ऐसी मलयालम फिल्मों के बारे में बता रहे है , जिन्होंने इस इंडस्ट्री को

मलयालम सिनेमा के लिए बीता दशक एक गेम चेंजर साबित हुआ है। कलाकारों की नयी पीढ़ी ने सुपरस्टार्स के एकछत्र राज से इस सिनेमा  को निकाल कर इसका चेहरा बदल कर रख दिया है। विनेथ श्रीनिवासन, लिजो जोस पेलिसरी, आशिक अबू, अंजली मेनन और दिललेश पठान जैसे निर्देशकों के साथ फहद फासिल, पार्वती, निविन प्यूल, दलकीर सलमान ने इस सिनेमा को नयी राह दिखाई है। 
मोहनलाल और ममूटी जैसे दिग्गजों की लकीर से आगे बढ़ते हुए इस सिनेमा में बहुत नयापन देखने को मिला है। फिल्म में अभिनेत्री के साथ मारपीट और अपहरण जैसे विषय अब टिपिंग बिंदु भर रह गए है। महिला कलाकारों ने कार्यस्थल पर लैंगिक समानता और सुरक्षा के लिए लड़ने वाला सिनेमा दर्शकों के सामने पेश किया है। 
आज हम आपको 12 ऐसी मलयालम फिल्मों के बारे में बता रहे है , जिन्होंने इस इंडस्ट्री को एक नया मुकाम हासिल करने में अहम भूमिका निभायी है। 
1. महेशीनते प्रथिकारम (2016):

स्याम पुष्करन द्वारा लिखी और दिललेश पोथन के निर्देशन में बनी ये फिल्म युवा फोटोग्राफर महेश की जिंदगी में आये प्यार और दिल टूटने की जर्नी दिखाई।  फिल्म में लीड रोल फहद फासिल ने मुख्य भूमिका निभाई थी। 
2. मयानाधी (2017) : 
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आशिक अबू द्वारा निर्देशित और सियाम पुष्करण और दिलेश नायर द्वारा लिखित, फिल्म मयानाधी दो लवर्स और उनके इंटेंस और उतार-चढ़ाव वाले रिलेशनशिप के इर्द-गिर्द घूमती है। टोविनो थॉमस और ऐश्वर्या लक्ष्मी ने फिल्म में लीड रोल निभाए है। 
 3. प्रेमम : 

लेखक-निर्देशक अल्फोंस पुथ्रेन फिल्म प्रेमम लीड किरदार जॉर्ज (Nivin Pauly) के  हाई स्कूल से वयस्कता तक की कहानी के इर्द गिर्द घूमती है। प्रेमम की कहानी 90 के दशक से लेकर 2000 के शुरूआती सालों में स्कूल और कॉलेज जाने वाले युवाओं की यादों की ताजा करती है। 
4. ई. मा. यू. (2018)

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लिजो जोस पेलिसरी की फिल्म ई. मा. यू. अब तक की सबसे इंटेंस फिल्म है। पीएफ मैथ्यूज द्वारा लिखित ये फिल्म केरल में एक तटीय गांव की पृष्ठभूमि में स्थापित है। फिल्म ववाचन मास्त्री की मृत्यु और उनके अंतिम संस्कार तक की घटनाओं के इर्द-गिर्द घूमती है।
5. दृश्यम  (2015)

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जेथू जोसेफ की ये फिल्म जॉर्जकुट्टी, उनकी पत्नी और दो बेटियां के इर्दगिर्द घूमती है । जॉर्जकुट्टी, एक स्कूल ड्रॉपआउट जो स्थानीय केबल नेटवर्क चलाता है, फिल्मों के शौक़ीन किरदार एक मर्डर के बाद किस तरह अपने परिवार को पुलिस की कार्यवही से बचाता है , यही इस फिल्म की कहानी है। 
6. अंगमाली डायरीज़ (2017)


निर्देशक लिजो जोस पेलिसरी ने इस कहानी को नेरेटर और हीरो विन्सेंट पेपे के साथ, अंगमाली के हलचल भरे शहर में सेट किया है। अंगमाली डायरीज़ शहर की उपसंस्कृति, खानपान और धर्म की बारीकियों को दर्शाता है।
7. मुन्नारिप्पू (2014)

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सिनेमाटोग्राफर वेणु द्वारा निर्देशित और उन्नी आर द्वारा लिखित, फिल्म मुन्नारिप्पू , एक महिला पत्रकार के इर्द-गिर्द घूमती है, जिसे एक कैदी के उसूलों और स्वतंत्रता के बारे में एक पुस्तक लिखने के लिए मजबूर किया। एक कैदी जिसने दोहरे हत्याकांड के लिए जीवन अवधि की सेवा पूरी कर ली है, उसे उसके लिए योजना बनाने की अनुमति देता है।
8. ट्रैफिक (2011)

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राजेश पिल्लई द्वारा निर्देशित और पटकथा लेखक जोड़ी बॉबी-संजय द्वारा लिखित इस फिल्म ने इस दशक के शुरू में मलयालम सिनेमा में नई लहर की शुरुआत की। ट्रैफिक एक हाइपरलिंक कहानी के माध्यम से वास्तविक जीवन की घटनाओं से प्रेरित है।
9. थोंडीमुथलम ड्रक्सकशीम (2017)


निर्देशक दिलेश पोथन और लेखक सजिव पझूर की ये फिल्म एक चोर की कहानी है जो एक महिला की चैन कराता है और सोते समय उसे निगल जाता है। यंग रोमांस और मिस्ट्री से भरपूर ये फिल्म भी खूब पसंद की गयी है। 
10. नाइजीरिया से सुदानी (2018)

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निर्देशक ज़कारिया की फिल्म उत्तरी केरल के एक काल्पनिक शहर में गढ़ी गयी है,  सात नाइजीरियाई फुटबॉल खिलाड़ी और उनके मलयाली प्रबंधक के बीच अजीब, अनोखे बांड के बारे में बात करती है। ज़कारिया और मुहसिन परारी द्वारा लिखित यह फिल्म एक समुदाय और संस्कृति की बारीकियों को उजागर करती है, और आम तौर पर मलयालम सिनेमा में दिखाए गए रूढ़ियों से परे अफ्रीकियों का प्रतिनिधित्व करती है।
11. कुंबलंगी नाइट्स (2019)

मधु सी नारायणन द्वारा निर्देशित और स्याम पुष्करन द्वारा लिखी गई कुंबलंगी नाइट्स, , चार दुराचारी भाइयों की कहानी है, जो मध्य केरल के एक पिछड़े गांव में रहते है। कैसी है इनकी जिंदगी और किस मोड़ पर आकर बदलती है , यही इस फिल्म की कहानी है। 
12. उस्ताद होटल

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अंजलि मेनन द्वारा लिखित, अनवर रशीद द्वारा निर्देशित, मलयालम सिनेमा में खानपान पर दुर्लभ फिल्मों में से एक है।  उस्ताद होटल एक दादाजी और एक पोते की कहानी है। 

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