Suchitra Sen की गुमनामी की राह: पुरस्कार के बावजूद क्यों नहीं आई सामने? - Punjab Kesari
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Suchitra Sen की गुमनामी की राह: पुरस्कार के बावजूद क्यों नहीं आई सामने?

पुरस्कार पाने के बाद भी क्यों गुमनाम रहीं सुचित्रा सेन?

सुचित्रा सेन, जिनका जन्म 6 अप्रैल 1931 को सिराजगंज, बांग्लादेश में हुआ था, विभाजन के बाद पश्चिम बंगाल आ गईं। 15 साल की उम्र में शादी के बाद, उन्होंने अपने पति की प्रेरणा से अभिनय में करियर शुरू किया। उनका असली नाम रोमादास गुप्ता था।

हिंदी और बंगाली फिल्मी दुनिया की प्रसिद्ध अभिनेत्री सुचित्रा सेन का जन्म 6 अप्रैल 1931 को बंगाल के सिराजगंज में हुआ था, जो अब बांग्लादेश में स्थित है। उनका असली नाम रोमादास गुप्ता था। बचपन में ही उनका परिवार भारत-पाकिस्तान के बंटवारे के दौरान पश्चिम बंगाल आकर बस गया। उन्होंने 15 साल की उम्र में ही अपनी शादी की, और बाद में उनका नाम सुचित्रा सेन रखा गया। अभिनय की दुनिया में कदम रखने से पहले वे गाने में रुचि रखती थीं, और उनके पति ने ही उन्हें सिनेमा में करियर बनाने के लिए प्रेरित किया।

इस तरह हिंदी सिनेमा में बनाई पहचान

सुचित्रा सेन ने अपनी करियर की शुरुआत 1953 में की थी, और जल्द ही वे बंगाली सिनेमा की सबसे बड़ी अभिनेत्री बन गईं। उनकी और अभिनेता उत्तम कुमार की जोड़ी ने कई सुपरहिट फिल्में दीं। इस जोड़ी को बंगाली सिनेमा की आइकॉनिक जोड़ी के रूप में माना जाता है। सुचित्रा सेन ने हिंदी सिनेमा में भी अपनी पहचान बनाई, खासतौर पर फिल्म ‘देवदास’ (1955) में उनके निभाए गए पारो के किरदार को काफी सराहा गया।

इस फिल्म में निभाया था इंदिरा गांधी का किरदार

उनकी फिल्मों में ‘आंधी’ (1975) भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर थी, जिसमें उन्होंने भारत की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी का किरदार निभाया। हालांकि, सुचित्रा सेन ने अपने करियर के दौरान एक महत्वपूर्ण अवसर को ठुकरा दिया। उन्होंने राज कपूर की फिल्मों को यह कहकर मना कर दिया कि उनका अंदाज उन्हें पसंद नहीं आया।

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जब पुरस्कार ठुकराकर गुमनामी की राह चुनी

सुचित्रा सेन का एक और चौंकाने वाला कदम था जब उन्होंने दादा साहब फाल्के पुरस्कार को ठुकरा दिया। 2005 में उन्हें इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया था, लेकिन उन्होंने पुरस्कार लेने से मना कर दिया और गुमनामी में रहने का फैसला किया। इसके बाद 17 जनवरी 2014 को, 82 वर्ष की आयु में, उनका निधन हो गया। उनकी अंतिम इच्छा थी कि कोई भी उनका चेहरा न देखे, और उनके निधन के समय भी उनका चेहरा किसी ने नहीं देखा।

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सुचित्रा सेन की बेटी मुन मुन सेन और उनकी पोतियां राइमा सेन और रिया सेन भी सिनेमा जगत में अपनी पहचान बना चुकी हैं। राइमा सेन को हिंदी और बंगाली फिल्मों में अभिनय के लिए जाना जाता है, जबकि रिया सेन भी एक प्रसिद्ध अभिनेत्री और मॉडल हैं। सुचित्रा सेन ने फिल्म इंडस्ट्री को अपनी अद्वितीय अभिनय क्षमता और संघर्ष की भावना से प्रेरित किया, और उनकी गुमनाम ज़िंदगी आज भी लोगों के दिलों में जीवित है।

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