हाल ही में अक्षय कुमार की फिल्म रामसेतु का ट्रेलर सामने आया है। ट्रेलर को
लेकर सोशल मीडिया पर खूब कंट्रोवर्सी हो रही है। फिल्म के ट्रेलर को सोशल मीडिया
पर मिली-जुली प्रतिक्रिया मिल रही है। वहीं, इन सबके बीच एक बार फिर रामसेतु को
लेकर बात होने लगी है। बता दें कि हिंदू धर्म के महाकाव्य रामायण में पहली बार रामसेतु
का उल्लेख किया गया है।
कहा जाता है कि माता सीता को रावण के चंगुल से छुड़ाने के
लिए वानर सेना ने रामसेतु पुल का निमार्ण किया था। इस पुल के आसपास बड़े-बड़े
पत्थर पानी में भी तैरते हैं। जिसे देखकर हर कोई हैरान रहता है। पिछले कई सालों से
रामसेतु को लेकर बहस चल रहा है। पुल को लेकर बहुत से रहस्य है। आइए जानते है वो
पुल से जुड़ी वो सभी बातें जो हमें पता होनी चाहिए।
रामायण में युद्ध कांड में रामसेतु का उल्लेख किया गया है। रामायण में लिखा गया
है कि सीता मां का रावण ने अपहरण कर बंधक बना लिया था। माता सीता को बचाने के लिए श्रीराम
को लंका जाना था। लेकिन लंका चारों तरफ समुंद्र से घिरा था। इस समस्या को हल करते
हुए वानर सेना ने श्रीराम का नाम पत्थरों पर लिखते हुए पानी में डालना शुरु किया।
जिसके बाद रामसेतु का निमार्ण हुआ। पत्थरों में श्रीराम का नाम लिखे होने की वजह
से वो पानी में डूबे नहीं और पुल का निमार्ण होता गया।
रामायण के मुताबिक, सुग्रीव की वानर सेना और भगवान श्रीराम इसी पुल से लंका गए और रावण को हराकर माता
सीता को मुक्त कराया। इन्हीं वजहों से इस पुल को हिंदू धर्म के लोग बेहद पवित्र
मानते हैं।
वहीं, इन पत्थरों को लेकर
वैज्ञानिक स्पष्टीकरण भी हैं। रामसेतु के पत्थरों का अध्ययन करने पर वैज्ञानिक बताते हैं
कि ये पत्थर अंदर से खोखले हैं।
यानी इन पत्थरों के अंदर छोटे-छोटे छेद होते हैं। इन छेदों के अंदर हवा भरी होने
से ये खोखले होते हैं और इनका वजन बहुत कम हो जाता है। पत्थरों का वजन कम होने की
वजह से ही ये पानी में तैरते हैं। दरअसल में वजन कम होने की वजह से पानी की तरफ से
लगने वाला फोर्स इन्हें डूबने से बचा लेता है। इस फोर्स को उत्प्लावक फोर्स कहा जाता है। इस फोर्स की वजह से ही बड़े-बड़े
जहाज पानी में तैरते रहते हैं।