प्रद्युम्न मर्डर केस: रेणुका शहाणे हुईं 7 साल के मासूम की मौत से भयभीत, पूछे यह 6 गंभीर सवाल... - Punjab Kesari
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प्रद्युम्न मर्डर केस: रेणुका शहाणे हुईं 7 साल के मासूम की मौत से भयभीत, पूछे यह 6 गंभीर सवाल…

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रेयान इंटरनेशनल स्कूल जो कि गुरुग्राम में स्थित है उसमें 8 सितंबर को 8 साल के बच्चे प्रद्युमन ठाकुर की हत्या कर दी गई। अगले ही दिन स्कूल के ही एक बस कंडक्टर अशोक कुमार ने अपना जुर्म कुबूल कर लिया था। पूरे देश में इस घटना को लेकर काफी हिंसा भी पैदा हो रही है और सबके मन में स्कूल प्रशासन को लेकर काफी सवाल उठ रहे हैं।

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लोगों का कहना है कि हत्यारे को लटका देना चाहिए, गोली मार देनी चाहिए, कटवाने तक की बातें हो रही हैं। आपको बता दें कि इस घटना के बाद प्रद्युमन के माता-पिता और बाकि अभिवावकों का हिंसक प्रदर्शन भी हुआ था। और इस हिंसक का जवाब पुलिस ने लाठीचार्ज सेे दिया था।

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अपराधी अशोक कुमार ने कुबूल किया था कि उसने प्रद्युमन को Sexually Assault करना चाहता था। जब प्रद्युमन ने इसका विरोध किया तो उसकी हत्या कर दी।

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आपको बता दें कि पिछले 2-3 दिनों में काफी कुछ देखने को मिला है। बाल यौन शोषण और स्कूल सिक्योरिटी को हम सबको हल्के में नहीं लेना चाहिए। यह तो आगे पता चलेगा कि स्कूल पर कोई कानूनी कार्रवाई होती है या फिर नहीं होती। यह तो अब पता चल गया है कि हर दिन अशोक कुमान और प्रद्युमन जैसे मासूमों को कैसे अपना यह स्कूल वाले निशाना बना देते हैं। प्रद्युमन के साथ जब गलत हो रहा था तो उसने अपने साथ गलत को रोकने के लिए उसने आवाज उठाई और उसे इसका खामियाजा अपनी जान देकर चुकानी पड़ी।

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इस मामले को देख कर बॉलीवुड की एक्ट्रेस रेणुका शहाणे ने अपने फेसबुक पर अपनी चिंताएं और आशंकाएं जताई हैं ये है। रेणुका शहाणे का फेसबुक पोस्ट जो सबको पढ़ना ज़रूरी है।

यह हैं रेणुका का ओपन लेटर जिसमें उनके कई सारे सावल हैं।

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‘रेयान इंटरनेशनल स्कूल में हुए 7 साल के मासूम की हत्या और एक दूसरे स्कूल में 3 साल की बच्ची के साथ बलात्कार ने मुझे पूरी तरह से झकझोर दिया है। हम अपने बच्चों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित करें? माता-पिता बच्चों को इसी भरोसे के साथ स्कूल छोड़ते हैं कि विद्या के मंदिर की चारदीवारी के अंदर वे सुरक्षित होंगे। लेकिन एक के बाद एक हो रही ये घटनाएं इस बात का सुबूत हैं कि ये इंटरनेशनल स्कूल मोटी फ़ीस वसूलना जानते हैं, बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करना नहीं जानते।

गुरुग्राम में हुई घटना स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था के कई कमज़ोर पहलुओं को उजागर करती हैं:

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1. जो वॉशरूम बच्चे इस्तेमाल करते थे, वही वॉशरूम बस ड्राईवर और कंडक्टर इस्तेमाल करते थे।
2. स्कूल के अंदर आरोपी आराम से चाकू लेकर घुस गया।
3. वॉशरूम के बाहर कोई महिला कर्मचारी नहीं थी।
4. उस बच्चे की चीखें भी किसी को सुनाई नहीं दी।
5. स्कूल मैनेजमेंट ने मामले को रफ़ा-दफ़ा करने की कोशिश की।
6. स्कूल की दीवार भी टूटी हुई थी, सुरक्षा व्यवस्था की ये बहुत बड़ी चूक है।

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सुरक्षा में इतनी ढील देख कर ये सवाल उठता है कि स्कूल के Trustees, मैनेजमेंट, प्रिंसिपल स्कूल चलाने लायक भी हैं या नहीं! आज मैंने पढ़ा कि इस घटना का आरोपी स्कूल से कुछ ही दूरी पर स्थित एक दूसरे स्कूल में ड्राईवर था। अभिभावकों और छात्रों की शिकायत पर उसे निकाल दिया गया था, वो छात्रों के साथ ग़लत हरकतें करता था। लेकिन स्कूल ने पुलिस में शिकायत दर्ज नहीं की। इसी से आरोपी के हौसले बुलंद हुए होंगे।

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शिकायत न करने की वजह से ही ऐसे लोगों की हिम्मत बढ़ जाती है और मासूम बच्चे ख़तरे में पड़ जाते हैं। हम सभी माता-पिता को एकजुट होकर अपराधियों की एक लिस्ट की मांग करनी चाहिए जिन्होंने बच्चों के साथ कभी भी ऐसी हरकतें की हों। ये सूची सरकारी और प्राइवेट दोनों ही स्कूलों में भेजी जानी चाहिए। ताकि कोई भी बस ड्राईवर, कंडक्टर, चपरासी, कोच, टिचर, प्रिंसपल, Trustee, जिसके नाम पर कभी भी कोई बाल यौन शोषण की शिकायत हुई हो, दोबारा किसी मासूम को अपना निशाना ना बना पाए। इस सूची को एचआरडी और शिक्षा विभागों की वेबसाइट पर भी डालना ज़रूरी है ताकि कोई भी इसे आसानी से हासिल कर सके।

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हमें यौन शोषण कर आसानी से बच जाने वालों के खिलाफ़ सख़्त कार्रवाई करनी होगी।
इस स्कूल के Trustees ने बच्चों की ज़िन्दगी से खिलवाड़ किया है।
स्कूल के प्रिंसिपल को निकाल दिया गया पर चेयरपर्सन और Trustees का क्या? जब तक इनके खिलाफ़ कोई कड़ी कार्रवाई नहीं की जाएगी, तब तक दूसरे स्कूल इस मामले को गंभीरता से नहीं लेंगे।
मैं सभी स्कूलों से अपील करती हूं कि किसी को भी नौकरी पर रखने से पहले उसके बारे में अच्छे से जांच कर लें। यौन शोषण किसी भी बच्चे की ज़िन्दगी में एक बुरी याद बनकर रह जाता है, बच्चे बड़े हो जाते हैं पर उस बुरी याद को भूल नहीं पाते। गुरुग्राम में उस बच्चे की बेरहम हत्या भी उसके माता-पिता को उम्रभर का ग़म और दर्द का कारण बन गई।
गोरखपुर के बाद अब नासिक में सुविधाओं के अभाव में महीने भर में 55 बच्चों की मौत हो गई।
कभी-कभी लगता है कि अब हम इंसानों को भी बर्बाद हो जाना चाहिए।’

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पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।