कई बार आपने भी गौर किया होगा की लोग आधी अधूरी जानकारी को सच मानकर अपने दिल में किसी चीज़ के लिए धरना बना लेते है जो की गलत है। ऐसा कई बातों में देखा गया है जैसे बिना जाने समझे यकीन कर लेना, या किसी के बारे में गलत राय निर्धारित कर लेना। आज हम बात कर रहे है भोजपुरी फिल्म जगत के बारे जो आम लोगों में सिर्फ अश्लीलता के साथ जोड़ कर देखा जाता है।
इन फिल्मों में काफी तड़क भड़क वाले डांस नंबर होते है। बिहार के लौंडा डांस को भी भोजपुरी फिल्मों ने परदे पर बहुत बार प्रदर्शित किया है। अब जिस तरह से इनका प्रदर्शन किया जाता है वो देखने में वाकई भौंडा लगता है । जो लौंडा नाच संस्कृति कभी बिहार और उत्तर प्रदेश में मशहूर हुआ करती थी उसकी वास्तविकता से विपरीत आजकल की भोजपुरी में फूहड़ता ज्यादा दिखाई जाती है।
लोग भी अब इस नृत्य कला और इससे जुड़े लोगों को हीन दृष्टी से ही देखते है। गलती लोगों की भी नहीं है क्योंकि जैसा आजकल लोग देखते है वैसा ही समझते है।
अब लोगों को इस नाच संस्कृति की असलियत से मिलवाने के लिए एक फिल्म आ रही है जो लौंडा नाच संस्कृति और उससे जुड़ें लोगों की पीड़ा को बयां करती है। इस फिल्म में एक संस्कृति के धूमिल होने के दर्द को बड़ी ही खूबसूरती के साथ परदे पर उकेरने की कोशिश की गयी है।
इस फिल्म का नाम ‘नचनियां’ है और हाल ही में इस फिल्म की दो बार स्पेशल स्क्रीनिंग की गयी जिसमे ये फिल्म समीक्षकों को काफी पसंद आई और सेंसर बोर्ड ने इसे यू सर्टिफिकेट दे दिया।
एक भोजपुरी फिल्म जो इस तड़क भड़क वाले डांस के ऊपर बन रही हो उसपर सेंसर बोर्ड की मेहरबानी ने हर किसी का ध्यान इस फिल्म की और खींच लिया है। प्रोड्यूसर विशाल दुबे और डायरेक्टर समीर रमेश सुर्वे ने इस फिल्म को बनाया है और जल्द ही इसकी रिलीज़ डेट का ऐलान भी किया जायेगा।