मिल्खा सिंह ने अपनी बायोपिक के लिए मांगा था सिर्फ एक रुपया, वजह जानकर और बढ़ जाएगा सम्मान - Punjab Kesari
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मिल्खा सिंह ने अपनी बायोपिक के लिए मांगा था सिर्फ एक रुपया, वजह जानकर और बढ़ जाएगा सम्मान

फरहान अख्तर की फिल्म भाग मिल्खा भाग, मिल्खा सिंह और उनके फैंस के लिए बहुत खास थी। इस

फ्लाइंग सिख के नाम से जाने जाने वाले भारत के महान एथलीट मिल्खा सिंह दुनिया को अलविदा कह गए हैं। कोरोना से पीड़ित होने के बाद मिल्खा सिंह की तबीयत बिगड़ी थी और वह इस वायरस से जंग हार गए। परिवार ने मीडिया को बतया कि पद्मश्री मिल्खा सिंह ने रात 11:30 पर आखिरी सांस ली। खेल जगत से लेकर बॉलीवुड और पूरे देश में मिल्खा सिंह के जाने की खबर के बाद शोक की लहर दौड़ गई है। 
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फ्लाइंग सिख के नाम से मशहूर मिल्खा सिंह के बायोपिक पर भाग मिल्खा भाग फिल्म भी बन चुकी है। 2013 में रिलीज हुई इस फिल्म में पर्दे उन्हें फरहान अख्तर ने जिया। बायोपिक भाग मिल्खा भाग में उनके किरदार को निभाने वाले फरहान अख्तर ने भी मिल्खा सिंह को श्रद्धांजलि दी है। 
 फरहान अख्तर की फिल्म भाग मिल्खा भाग, मिल्खा सिंह और उनके फैंस के लिए बहुत खास थी। मिल्खा सिंह की बेटी ने अपने पिता के जीवन पर ‘रेस ऑफ माई लाइफ’ नाम से किताब लिखी, जो साल 2013 में प्रकाशित हुई थी। इस किताब के प्रकाशित होने के बाद फिल्म निर्माता राकेश ओम प्रकाश मेहरा ने मिल्खा सिंह के जीवन पर फिल्म ‘भाग मिल्खा भाग’ बनाने का फैसला लिया। फिल्म को लेकर जब वो इन फ्लाइंग सिख से मिले तो मिल्खा  ने राकेश ओम प्रकाश मेहरा के सामने आजीब सी शर्त रखी।

डायरेक्टर राकेश ओम प्रकाश मेहरा की इस फिल्म में मिल्खा सिंह के जीवन, उनकी जिंदगी के संघर्ष और खेल जगत में उनके आने और आजाद भारत के लिए गोल्ड मेडल जीतने की कहानी दिखाई गई थी। जहां बायोपिक पर फिल्म बनाने की अनुमती देने के लिए सिलेब्स करोड़ो में फीस मांगते हैं, वहीं मिल्खा सिंह ने फिल्ममेकर से सिर्फ एक रुपये का नोट मांगा। इस एक रुपये की खास बात यह थी कि एक रुपये का यह नोट साल 1958 का था, जब मिल्खा ने राष्ट्रमंडल खेलों में पहली बार स्वतंत्र भारत के लिए गोल्ड मैडल जीता था। एक रुपये का यह नोट पाकर मिल्खा भावुक हो गए थे। यह नोट उनके लिए किसी बेशकिमती यादगार की तरह था।
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फिल्म के प्रमोशन के दैरान मिल्खा सिंह ने बताया कि वो फरहार अख्तर फिल्म में निभाए गए रोल से काफी खुश हैं। एक्टर ने फिल्म में उन जैसा दिखने के लिए काफी मेहनत की है। हालांकि मिल्खा सिंह जबतक जीए उनके दिल में एक ही टीस रही। उनका एक अधूरा ख्वाब जीते जी पूरा ना हो सका। मिल्खा ने कहा था उनके जीवन की सिर्फ एक इच्छा अधूरी रह गई। उन्होंनेबताया कि रोम ओलंपिक में जो स्वर्ण पदक मेरे हाथ से फिसल गया था, दुनिया छोड़ने से पहले उसे अपने देश में देखना चाहता हूं। यही मेरी आखिरी इच्छा है।

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