शबाना आज़मी बॉलीवुड की एवरग्रीन एक्ट्रेस। 70s और 80s के ज़माने की वो खूबसूरत अदाकारा जिसकी नशीली आँखों की दुनिया दीवानी थी। शबाना आज़मी आज भी बॉलीवुड में एक्टिव है और लिरिसिस्ट जावेद अख्तर की पत्नी है। शबाना मशहूर लेखक और सूफी पोएट कैफ़ी आज़मी की बेटी है। कैफ़ी आज़मी को शायरों की दुनिया में एक अलग ही मुक़ाम हासिल है। अपनी कलम से वह दुनिया जीतने की ताक़त रखते है। आज भी उनकी शायरी और ग़ज़लों को लोग बड़े ही चाव से पढ़ते है।
शबाना आज़मी के पिता कैफ़ी आज़मी का रुतबा बहुत बड़ा था। वह न सिर्फ उर्दू शायर थे बल्कि कई हिंदी गांव को भी उन्होंने अपनी कलम से सजाया है। आज उनकी 20वीं पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 10 मई साल 2002 को कैफ़ी आज़मी साहब ने दुनिया को अलविदा कह दिया था। वह एक बेहतरीन शायर थे और युवा के दिल का हाल बखूबी समझते थे। उनके लिखे एक एक शेर दिल को सीधा छू जाते है। आज भी उन्हें उर्दू लिटरेचर में दिए उनके योगदान के लिए याद किया जाता है।
कैफ़ी आज़मी की बहु और एक्ट्रेस तन्वी आज़मी ने अपने फादर इन लॉ को याद करते हुए शबाना आज़मी से जुड़ा मज़ेदार किस्सा शेयर किया है। तन्वी ने बताया की जब अब्बा (कैफ़ी आज़मी) मुझे प्यार करते थे तो शबाना आज़मी को जलन होती थी। आज उनकी 20वीं पुण्यतिथि पर तन्वी आज़मी ने उन्हें अपने तरीके से ट्रिब्यूट दिया और एक तस्वीर शेयर कर लिखा ‘ वो हमेशा कहते थे “मेरे होते हुए तुम्हे कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकता”।
उन्होंने आगे कहा “37 साल पहले मैं इस फॅमिली का हिस्सा बानी थी। मेरी शादी एक इंटर-कास्ट मर्रिज थे। मुझे और मेरे पेरेंट्स को धमकी मिलती थी लेकिन मेरे अब्बा (कैफ़ी आज़मी) ने मुझे कहा था की ‘बेटा जब तक मैं ज़िंदा हूँ तुम्हे कोई कुछ नहीं कर सकता, फ़िक्र न करो मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूँ। “। तन्वी ने आगे कहा ” मैंने होनी लाइफ में उनसे ज्यादा धर्मनिरपेक्ष इंसान नहीं देखा। वह ईद की तरह ही दीवाली होली और यहाँ तक की क्रिस्टमस भी मानते थे”।
कैफ़ी आज़मी साहब की एक अलग ही शख्सियत थी। उर्दू लिटरेचर पढ़ने वाला हर स्टूडेंट कैफ़ी आज़मी साहब की रचनाओं को पढता है और उनसे प्रेरणा लेता है। उनके कुछ मशहूर शेर ये है –
“तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो ? क्या गम है जिसे छुपा रहे हो। ”
“बस्ती में अपने हिन्दू मुसलमां जो बस गए, इंसां की शक्ल देखने को हम तो तरस गए “
“इंसान की ख्वाहिशो की कोई इन्तेहाँ नहीं, दो गज़ जमीं चाहिए दो गज कफ़न के बाद “
“झुकी झुकी सी नज़र बे-करार है की नहीं, दबा दबा सा सही दिल में प्यार है की नहीं “