श्रीदेवी की शुरुआत से अंत तक की हर कहानी जो शायद आप नहीं जानते होंगे - Punjab Kesari
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श्रीदेवी की शुरुआत से अंत तक की हर कहानी जो शायद आप नहीं जानते होंगे

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चांदनी सदमा दे गई। ऐसा सदमा जिससे उबर पाना नामुमकिन होगा। बिजली गिराने वाली वो अदाकारा इस तरह इस दुनिया से हवा हवाई हो जाएगी। ये किसी ने ख्वाब में भी नहीं सोचा होगा। उनके जीवन की कहानियां के जरिए हम आपको दिखाएंगे उनका वो सफर जो किसी करिश्मे से कम नहीं रहा।Srideviकरोड़ों दिलों को अपनी अदाओं से धड़काने वाली श्रीदेवी महज 54 साल की उम्र में दिल का दौरा पड़ने की वजह से हमें अलविदा कह गईं। श्रीदेवी दुबई में अपने पति बोनी कपूर के भांजे मोहित मारवाह की शादी में शामिल होने गई थीं और ये सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर साबित हुआ।Sridevi

श्रीदेवी बॉलीवुड की एक ऐसी अदाकारा रही हैं जिन्होंने हर किरदार को ना सिर्फ निभाया बल्कि जिया है। वो बॉलीवुड में उस मुकाम तक पहुंची जहां तक पहुंचना ज्यादातर हीरोइनों का सपना होता है। लेकिन श्रीदेवी ने इस सपने को सच कर दिया। आइए आपको बताते हैं कि श्रीदेवी ने बॉलीवुड में कामयाबी का ये सफऱ कैसे तय किया।Sridevi

श्रीदेवी का जन्म 13 अगस्त 1963 को तामिलनाडु के एक तमिल परिवार में हुआ। श्रीदेवी ने महज 4 साल की उम्र से ही बतौर बाल कलाकार एक्टिंग के फील्ड में कदम रख दिया था। श्रीदेवी की पहली तमिल फिल्म थुनाईवन थी। साल 1967 से 1975 तक श्रीदेवी ने बतौर बाल कलाकार तमिल, तेलगु, मल्यालम और कन्नड़ में फिल्मों में काम कियाSridevi

फिल्म जूली में भी श्रीदेवी बतौर बाल कलाकार नजर आईं। इस फिल्म में श्रीदेवी फिल्म की हीरोइन लक्ष्मी की छोटी बहन के किरदार में नजर आई थीं। 1978 में आई फिल्म सोलवा सावन से श्रीदेवी ने बतौर लीड ऐक्ट्रेस हिंदी फिल्मों में कदम रखा। लेकिन फिर चार सालों तक श्रीदेवी ने कोई फिल्म साइन नहीं की।Sridevi

साल 1983 में श्रीदेवी को फिल्म हिम्मतवाला में साइन किया गया जिसमें जितेन्द्र श्रीदेवी के हीरो थे। फिल्म बॉक्सऑफिस पर हिट रही। यहीं से शुरू हो गया श्रीदेवी का करोड़ों लोगों के रूप की रानी बनने का सफर।Sridevi

फिल्मी पर्दे पर जितेन्द्र के साथ श्रीदेवी की जोड़ी को खूब पसंद किया जाने लगा। उस दौर में दक्षिण भारत के फिल्मकारों के निर्देशन में दोनों ने साथ में जानी दोस्त, जस्टिस चौधरी, मवाली और तोहफ़ा जैसी सुपरहिट फिल्मों में काम किया। फिल्मों के मसाला में जीतेन्द्र-श्रीदेवी की जोड़ी कामयाबी का दूसरा नाम बन गयी। खासतौर पर तोहफा के गीतों में तो श्रीदेवी का डांस छा गया।Jitendra-Sridevi

साल 1983 में जहां हिम्मतवाला और मवाली जैसी मसाला फिल्मों में श्रीदेवी ने धूम मचायी, वहीं इसी साल कमल हासन के साथ फिल्म सदमा में अपने बेहतरीन अभिनय से उन्होंने सबकी आंखें नम कर दीं। फिल्म सदमा में गुलज़ार की लिखे गाने ‘सुरमई अखियों में’ श्रीदेवी ने क्या खूब अपनी आंखों का जादू बिखेरा।

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