इसमें कोई संदेह नहीं है कि चाहे वो भूमिका कोई भी हो। लेकिन नवाजुद्दीन सिद्दीकी उसे काफी आसानी से निभाते हैं। यह कोई आश्चर्य की बात नही कि हिंदी फिल्म उद्योग के वह बेहतरीन और बहुमुंखी प्रतिभा में से एक हैं लेकिन अपने किरदार को निभाने के लिए वह क्या तरीका इस्तमाल करते हैं।इस बारे में बात करते हुए नवाज कहते हैं कि मैंने कुछ इतने डार्क किरदार निभाएं हैं कि मुझे कई बार यह समझ में नही आता कि क्या ऐसे किरदार असल जिंदगी में होते हैं। उन किरदारों के विचार और बर्ताव मुझसे बिल्कुल भी मेल नही खाते। कुछ डार्क किरदार निभाने के बाद वह आपको इतना मानसिक रूप से थका देते हैं, कि ऐसा लगता है जैसे यार, मेरे पास तो खुद के इमोशन्स ही नहीं हैं।
ऐसे किरदारों से बाहर निकलकर सामान्य होने के लिए भी नवाजुद्दीन के पास एक अलग प्रबंधन होता हैं। वह कहते हैं कि मैं अपने गांव में वापस जाता हूं। मेरे गांव की मिट्टी मुझे नॉर्मल रूटीन में आने में मदद करती हैं। मेरी फिल्म रमन राघव ‘2.0’ के किरदार का ही उदाहरण लीजिए।
इस किरदार ने मुझे मानसिक रूप से काफी थका दिया था। यह फिल्म को पूरा करने के बाद गांव लौटा। तब सरसों की खेती चल रहीं थी। मैंने अपने खेतों में काम किया। मुझे थोड़ा बेहतर लगने लगा। यह सारे पैतरे ही मुझे अपनी जड़ों से जोड़े रखतें हैं।