तनिष्ठा चटर्जी पढ़ाई के बीच एक्ट्रेस बन जाने पर बोलीं, मेरी जिंदगी में सब अप्रत्याशित होता रहा - Punjab Kesari
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तनिष्ठा चटर्जी पढ़ाई के बीच एक्ट्रेस बन जाने पर बोलीं, मेरी जिंदगी में सब अप्रत्याशित होता रहा

अपनी शानदार अदाकारी के दम पर अभिनेत्री तनिष्ठा चटर्जी ने बॉलीवुड में एक अलग छाप छोड़ी है।

अपनी शानदार अदाकारी के दम पर अभिनेत्री तनिष्ठा चटर्जी ने बॉलीवुड में एक अलग छाप छोड़ी है। इन्होंने बस यूं ही से लेकर ब्रिक लेन,देख इंडियन सर्कस,पार्चड,जल और रोड जैसी फिल्में करने के बाद एक खास पहचान बनाई है। तनिष्ठा  का जन्म पुणे में हुआ था। दुनिया घूम चुकी तनिष्ठा दिल्ली की आबोहवा ने उनके अंदर अदाकारी का पौधा रोपा। अभिनेत्री की अगली फिल्म ‘झलकी’ नोबेल पुरस्कार विजेता कैलाश सत्यार्थी के जीवन से जुड़ी घटनाओं पर आधारित है।
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जब अभिनेत्री से बातचीत की गई और उनसे पूछा कि फिल्म झलकी में आप एक बच्ची को उसके भाई से मिलवाने की कोशिश वाली पत्रकार बनी हैं? जबकि आप खुद भी इन सारी चीजों से जुड़ी रही हैं तो यह रोल निभाना आपके लिए कितना आसान रहा।
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मिर्जापुर में करीब 47 डिग्री सेल्सियस तापमान पर फिल्म की शूटिंग का अनुभाव कैसा रहा?
इस पर तनिष्ठा ने कहा कि मैंने बहुत सारी फिल्मों में इससे भी ज्यादा गर्मी में काम किया है। मैंने रेगिस्तान में भी फिल्में की है तो मेरे लिए यह कुछ मुश्किल नहीं था। सच बताऊ तो मुझे तो बहुत माजा आया क्योंकि हमारी टीम बहुत अच्छी थी। मिर्जापुर का खाना और गुलाब जामुन बहुत अच्छा लगा। गर्मी के टाइम पर गंगा किनारे नाव में बैठना और वहां के लोगों से बात करने का अनुभव खास रहा। वैसे कलाकार को इन सारी चीजों में ही मजा आता है। 
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एक आम आदमी बचपन बचाओं आंदोलन जैसे मुद्दों से कैसे जुड़ सकता है?
जहां कहीं भी बाल मजदूरी दिखती है उसे हमें वही के वही रोक देना चाहिए। इसके साथ ही सरकार पर भी जोर देना चाहिए। सरकार ने तो अपनी तरफ से कानून बना दिए हैं लेकिन पहले बच्चों की शिक्षा और चिकित्सा को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
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 बड़े शहरों में खेल के मैदान कितने कम हैं। ज्यादातर स्कूल इतनी छोटी जगह पर है जहां पर सांस लेने तक की जगह नहीं होती है। बच्चे समाज का सबसे महत्वपूर्ण अंग है उसके बाद कुछ और है।
रसायन विज्ञान पढऩे वाली छात्रा को दिल्ली की आबोहवा ने अदाकारा कैसे बना दिया?
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मेरी लाइफ में सब कुछ अप्रत्याशित ही होता रहा है। अदाकारी भी उनमें से एक है। जब मैं पढ़ाई कर रही थी तब मैंने राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में क्लास ली थी। उस क्लास में मुझे में इतने बदलाव ला दिए।
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 मैं गाना भी गाती थी तो मुझे सभी ने कला से जुड़े क्षेत्र में भविष्य बनाने की सलाह दी और मुझे खुद भी यह अहसास हुआ कि मुझे इसमें मजा आता है। पापा ने भी बहुत बार एमबीए करने के लिए कहा लेकिन मैं कभी भी खुद को एक्टिंग से दूर नहीं कर सकी। 

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