राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (आरएलजेपी) के प्रमुख पशुपति कुमार पारस ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 को लेकर बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने घोषणा की कि उनकी पार्टी सभी 243 विधानसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारेगी। इस कदम को बिहार की राजनीति में एक बड़ी हलचल के रूप में देखा जा रहा है, खासकर जब पार्टी एनडीए से अलग हो चुकी है और महागठबंधन में शामिल होने की अटकलें लगाई जा रही हैं।
बता दे कि पार्टी ने जमीनी स्तर पर संगठन और दलित सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए 2025 के चुनावों के लिए अपनी तैयारियां भी तेज कर दी हैं।
गठबंधन पर संशय, जमीनी स्तर पर तैयारियां तेज
आरएलजेपी ने बिहार के हर बूथ तक संगठन खड़ा करने की योजना बनाई है। पारस ने कहा कि हमने बिहार के हर बूथ पर एक संगठन स्थापित करने की योजना बनाई है। इसके अनुसार, सभी निर्वाचन क्षेत्रों में बूथ लेवल ऑफिसर (बीएलओ) नियुक्त किए जाएंगे। बिहार की सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने के लिए जमीनी स्तर पर एक मजबूत आधार बनाने का विचार है। पारस ने स्पष्ट किया कि गठबंधन पर अंतिम फैसला चुनाव नजदीक आने पर लिया जाएगा।
दलित सशक्तिकरण पर जोर
पार्टी की दलित शाखा ‘दलित सेना’ ने 14 अप्रैल को पटना में एक बड़ा कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बनाई है, जहां बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की जयंती मनाई जाएगी। इससे आरएलजेपी के दलित वोट बैंक को मजबूत करने की कोशिश मानी जा रही है।
रालोजपा के प्रदेश अध्यक्ष प्रिंस राज ने सभी पदाधिकारियों और जिला अध्यक्षों को अपने आवास पर पार्टी का झंडा और नेमप्लेट लगाने का निर्देश दिया है। वरिष्ठ कार्यकर्ताओं को भरोसा दिलाया गया कि विधानसभा चुनाव में रालोजपा के मजबूत उम्मीदवार उतारे जाएंगे।
एनडीए से दूरी, महागठबंधन की ओर झुकाव?
लोकसभा चुनाव 2024 में आरएलजेपी को एनडीए में कोई सीट नहीं मिली, जिसके बाद पशुपति पारस ने खुद को गठबंधन से अलग कर लिया। मकर संक्रांति पर लालू प्रसाद यादव और तेज प्रताप यादव को अपने भोज में बुलाकर उन्होंने महागठबंधन में शामिल होने की अटकलों को हवा दी थी।
बिहार की राजनीति में नया समीकरण?
आरएलजेपी का सभी 243 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए चुनौतीपूर्ण हो सकता है। क्या यह कदम पार्टी को राज्य की राजनीति में मजबूत करेगा, या गठबंधन के बिना चुनाव लड़ना उसके लिए जोखिम भरा साबित होगा? यह देखना दिलचस्प होगा।
बता दे कि पशुपति पारस ने खुद संकेत दिया है कि चुनाव के करीब आने पर गठबंधन पर फैसला लिया जाएगा। आरएलजेपी का सभी 243 सीटों पर स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ना एनडीए और महागठबंधन दोनों के लिए चुनौती है।