बिहार के अररिया में हिंदी अखबार के पत्रकार विमल यादव को गोली क्यों मारी गई ? - Punjab Kesari
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बिहार के अररिया में हिंदी अखबार के पत्रकार विमल यादव को गोली क्यों मारी गई ?

बिहार के अररिया से सनसनीखेज मामला सामने आया है दरअसल यहां एक हिंदी के अखार के पत्रकार विमल

बिहार के अररिया से सनसनीखेज मामला सामने आया है दरअसल यहां एक हिंदी के अखार के पत्रकार विमल यादव को गोली मारी गई है जिसके बाद उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद से ही बिहार के सीएम नीतीश कुमार पर तमाम तरह के सवाल खड़े  किए जा रहे है। इसके साथ ही बिहार की कानून व्यवस्था पर भी सवाल खड़े हो रहे है।
बदमाशों ने घर में घुस कर मारी गोली
बताया जा रहा है कि  शुक्रवार 18 अगस्त की सुबह कुछ  बदमाश विमल कुमार यादव के घर पहुंचे। उन्होंने  दरवाजा को खटखटाया जैसे ही वो बाहर निकले वैसे ही उन्हें गोलियों से भून दिया गया।  पूरा मामला रानीगंज थाना क्षेत्र का है। इस मामले की जानकारी रानीगंज थाना को  दी  गई थी इसके बाद रानीगंज थानाध्यक्ष कौशल कुमार  अपनी टीम  के साथ पत्रकार के घर  पहुंचे। इसके बाद  विमल कुमार यादव को रानीगंज रेफरल अस्पताल पहुंचाया गया जहां डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया।  उनके शव को पोस्टमार्टम के लिए अररिया सदर अस्पताल भेज दिया गया है।
 विमल के भाई की भी इसी तरह हुई थी हत्या
आपको बता दें दो साल पहले भी विमल के भाई की इसी तरह हत्या की गई थी उन्हें भी कुछ बदमाशों ने गोली मारी थी। इस बात की जानकारी पूजा देवी ने दी है उनका कहा है कि दो साल पहले उनके देवर गब्बू यादव की भी बदमाशों ने इसी तरह हत्या कर दी थी। उनके पति विमल कुमार यादव मुख्य गवाह थे।
भाई के केस में गवाही देने की वजह से किया मर्डर
 गब्बू यादव के मर्डर केस ट्रायल कोर्ट में चल रहा था।  उन्होंने बताया कि  गब्बू यादव केस में विमल यादव को गवाही देने से बदमाशों ने मना किया था । लेकिन उन्होंने  कोर्ट में गवाही दी थी । इसके कुछ दिन बाद ही बदमाशों ने गवाही देने के चक्कर मे विमल की भी हत्या कर दी।
पत्रकार की हत्या से नीतीश पर उठे सवाल
घटना के बाद भारी संख्या में जिले के पत्रकार पोस्टमार्टम हाउस पहुंचे इसके बाद हत्यारों पर एक्शन को लेकर उन्होंने पुलिस के अधिकारियों से भी बात की है।
इन सबके बीच बड़ा सवाल है कि पत्रकार जो जनता के हित के लिए रात दिन काम करते है समाज के प्रति अपना योगदान देते है उनकी हत्या होना बहुत बड़ी बात है जो बिहार सरकार को इस दिशा में ध्यान देने की जरुरत है।
लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की हुई हत्या
 ये पहली बार नही है कि किसी पत्रकार की हत्या हुई होे इससे पहले भी कई पत्रकारों की हत्या हो चुकी है इसलिए पत्रकारों के हित के लिए केंद्र सरकार को एक्शन लेना चाहिए।  क्योंकी किसी पत्राकार की हत्या होना लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की हत्या होना है।

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