कौन थे शहीद मोहम्मद इम्तियाज? जिनकी शहादत पर नम हो गई पूरे गांव की आखें - Punjab Kesari
Girl in a jacket

कौन थे शहीद मोहम्मद इम्तियाज? जिनकी शहादत पर नम हो गई पूरे गांव की आखें

गांव की आंखों में आंसू, शहीद इम्तियाज की शहादत का असर

शहीद मोहम्मद इम्तियाज की अंतिम विदाई में उनके पैतृक गांव नारायणपुर में ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं। उनकी शहादत ने पूरे गांव को भावुक कर दिया और लोग ‘पाकिस्तान मुर्दाबाद’ के नारे लगाने लगे। इम्तियाज का परिवार उनके जाने के गम में डूबा है, जबकि उनका बेटा इमरान रजा अपने पिता की बहादुरी पर गर्व महसूस करता है।

भारत ने जम्मू कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकी हमले के जवाब में ऑपरेशन सिंदूर चलाया. इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान में बने आतंकी ठिकानों को बहुत गहरी चोट देने का काम किया. इसके तहत पाकिस्तान में 9 आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया गया. भारत की तरफ से आतंकियों के खिलाफ किए गए इस एक्शन से पाकिस्तान तिलमिला उठा और भारत पर भी कई हमले कर दिए. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, इसके जवाब में भारतीय सेना ने भी जमकर बारूदी कार्रवाई की। लाहौर, कराची से लेकर इस्लामाबाद तक तबाही मचाने का काम किया. वहीं दोनों देशो के बीच चले इस युद्द में कई भारतीय सैनिक शहीद हुए. इस दौरान जम्मू कश्मीर की सीमा पर तैनात बिहार के रहने वाले मोहम्मद इम्तियाज भी इनमें शामिल थे.

‘नम हुईं ग्रामीणों की आखें’

इस दौरान आज यानी सोमवार को मोहम्मद इम्तियाज का पार्थिव शरीर बिहार की राजधानी पटना पहुंचा और उसके बाद वहां से सारण लाया गया. ऐसे में जैसे ही उनका पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा तो ग्रामीणों की आखें नम हो गईं और लोग पाकिस्तान मुर्दाबाद के नारे लगाने लगे. वहीं इससे पहले तमाम नेताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की.

जानें शहीद इम्तियाज के बारें में

शहीद मोहम्मद इम्तियाज का पार्थिव शरीर जैसे ही सारण जिले के गड़खा प्रखंड के नारायणपुर पहुंचा,तो पूरा गांव मोहम्मद इम्तियाज अमर रहें के नारे लगाने लगा. वहीं शहीद मोहम्मद इम्तियाज के बारे में ग्रामीणों ने बताया कि वो एक नेक दिल इंसान और काफी मिलनसार स्वभाव के इंसान थे. वे एक महीने पहले ही ईद के मौके पर घर आए थे. मोहम्मद इम्तियाज को देखने के लिए गांव में लोगो की भीड़ उमड़ पड़ी. इस दौरान ग्रामीणों ने पूरे सम्मान के साथ उन्हें अंतिम विदाई दी. लोगो से मिली जानकारी के अनुसार, इम्तियाज के छोटे भाई मो. मुस्तफा भी बीएसएफ में हैं और फिलहाल मेघालय में बांग्लादेश बॉर्डर पर तैनात हैं. गांव वालों ने आगे बताया कि इम्तियाज और मुस्तफा के घर का नाम भी बेहद खास है. दरअसल, उन्होंने अपने गांव में अपने घर का नाम ‘सीमा प्रहरी निवास’ रखा है. इस बीच शहीद मोहम्मद इम्तियाज के बेटे इमरान रजा और पत्नी अपने पति के जाने के गम में बेहद ही दुखी नजर आए. वहीं घर वालों की आखों के आंसू भी थमने के नाम नहीं ले रहे हैं.

beta

पिता की शहादत पर क्या बोला बेटा?

इस बीच मोहम्मद इम्तियाज के बेटे इमरान रजा ने अपने पिता की शहदत पर पर बोलते हुए कहा कि मेरे पिता बहुत मजबूत इंसान थे और मुझे उन पर बहुत गर्व है. 10 मई को सुबह 5:30 बजे मैंने उनसे आखिरी बार बात की थी. रजा ने आगे बताया कि ड्रोन हमले में उनके पिता के दाहिने पैर में चोट लग गई थी. उन्होंने कहा कि सरकार को पाकिस्तान को ऐसा सबक सिखाना चाहिए और ऐसा मुंहतोड़ जवाब देना चाहिए कि कोई बेटा अपने पिता से दूर न रह सके. वहीं तमाम सरकारी नियमों और गार्ड ऑफ ऑनर की आदायगी के बाद शहीद मोहम्मद इम्तियाज को छपरा में सुपुर्द-ए-खाक कर दिया गया.

आतंकी हाफिज अब्दुल रऊफ को बताया ‘फैमिली मैन’,पाकिस्तानी सेना का झूठ फिर हुआ बेनकाब

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

five × five =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।