बिहार में जाति सर्वेक्षण को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो रहे है कि इससे कितना फायदा होगा और कितना नुकसान होगा इसके बारे में बात करेंगे । दरअसल बिहार में कई नेता कास्ट सर्वे कराने की मांग कर रहे है ताकि लोगों को लाभ मिल सके लेकिन कई लोगों का कहना है कि कास्ट सर्वे से नुकसान होगा। उनका कहना है कि इससे लोगों का डेटा विवरण से लोगों का नुकसान हो सकता है । सर्वे का ये मामला अब कोर्ट भी पहुंच चुका है।
सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
दरअसल सर्वे के नुकसान को लेकर कोर्ट में कई याचिका भी डाली गई है जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है। कोर्ट ने इस मामले पर एनजीओ ‘यूथ फॉर इक्वेलिटी’ की ओर से पेश वकील सीएस वैद्यनाथन से पूछा कि जाति या उप-जाति का विवरण प्रदान करने में क्या नुकसान है? अगर कोई अपनी जाति या उपजाति का नाम बता दे और वह डेटा प्रकाशित न हो तो इसमें हर्ज क्या है?
सोमवार को होगी अगली सुनवाई होगी
कोर्ट ने आगे सवाल करते हुए कहा जो जारी करने की मांग की जा रही है वह संचयी आंकड़े हैं। यह निजता के अधिकार को कैसे प्रभावित करता है? आपके अनुसार कौन से प्रश्न सर्वेक्षण के लिए तैयार प्रश्नावली में संविधान के अनुच्छेद 21 के विपरीत हैं? इस तरह के सवाल कोर्ट में किए गए है । इस मामले पर अगली सुनवाई अब सोमवार को होगी।
पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ डाली गई थी याचिका
वहीं इस मामले पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने कहा, ‘जब तक प्रथम दृष्टया कोई मजबूत मामला न हो हम किसी भी चीज पर रोक नहीं लगाएंगे । उन्होंने उन याचिकाकर्ताओं को धन्यवाद दिया जिन्होंने बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दायर की थी।
सर्वे के नुकसान को लेकर डाली गई थी याचिका
उन्होंने तर्क दिया निजता के अधिकार का उल्लंघन वैध उद्देश्य के साथ निष्पक्ष और उचित कानून के अलावा नहीं किया जा सकता है। यह एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से नहीं किया जा सकता है। इस पर पीठ ने कहा यह अर्ध-न्यायिक आदेश नहीं बल्कि एक प्रशासनिक आदेश है। कारण बताने की कोई जरूरत नहीं है अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। हालांकि इस मामले कोर्ट सर्वे को रोकने के पक्ष में नहीं है।
तेजस्वी यादव लंबे समय से कर रहे है मांग
सीएम नीतीश कुमार भी सर्वे को लेकर कई बाते कह चुके है वही डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव लंबे समय से सर्वे की मांग कर रहे है। सोमवार को कोर्ट इस मामले में फिर से सुनवाई करेगा।
सर्वे को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
दरअसल सर्वे के नुकसान को लेकर कोर्ट में कई याचिका भी डाली गई है जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की है। कोर्ट ने इस मामले पर एनजीओ ‘यूथ फॉर इक्वेलिटी’ की ओर से पेश वकील सीएस वैद्यनाथन से पूछा कि जाति या उप-जाति का विवरण प्रदान करने में क्या नुकसान है? अगर कोई अपनी जाति या उपजाति का नाम बता दे और वह डेटा प्रकाशित न हो तो इसमें हर्ज क्या है?
सोमवार को होगी अगली सुनवाई होगी
कोर्ट ने आगे सवाल करते हुए कहा जो जारी करने की मांग की जा रही है वह संचयी आंकड़े हैं। यह निजता के अधिकार को कैसे प्रभावित करता है? आपके अनुसार कौन से प्रश्न सर्वेक्षण के लिए तैयार प्रश्नावली में संविधान के अनुच्छेद 21 के विपरीत हैं? इस तरह के सवाल कोर्ट में किए गए है । इस मामले पर अगली सुनवाई अब सोमवार को होगी।
पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ डाली गई थी याचिका
वहीं इस मामले पर न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने कहा, ‘जब तक प्रथम दृष्टया कोई मजबूत मामला न हो हम किसी भी चीज पर रोक नहीं लगाएंगे । उन्होंने उन याचिकाकर्ताओं को धन्यवाद दिया जिन्होंने बिहार में जाति-आधारित सर्वेक्षण को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ विशेष अनुमति याचिका दायर की थी।
सर्वे के नुकसान को लेकर डाली गई थी याचिका
उन्होंने तर्क दिया निजता के अधिकार का उल्लंघन वैध उद्देश्य के साथ निष्पक्ष और उचित कानून के अलावा नहीं किया जा सकता है। यह एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से नहीं किया जा सकता है। इस पर पीठ ने कहा यह अर्ध-न्यायिक आदेश नहीं बल्कि एक प्रशासनिक आदेश है। कारण बताने की कोई जरूरत नहीं है अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट सोमवार को सुनवाई करेगा। हालांकि इस मामले कोर्ट सर्वे को रोकने के पक्ष में नहीं है।
तेजस्वी यादव लंबे समय से कर रहे है मांग
सीएम नीतीश कुमार भी सर्वे को लेकर कई बाते कह चुके है वही डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव लंबे समय से सर्वे की मांग कर रहे है। सोमवार को कोर्ट इस मामले में फिर से सुनवाई करेगा।