नारी-गुंजन संस्थान के तत्वावधान में पटना के बिहटा ब्लॉक परिसर में भूमि-आवास हेतु महादलितों एवं अन्य जागरूक अभिभावकों द्वारा महाधरना दिया गया। जिसमें पदमश्री सुधा वर्जिश और ऑल इंडिया अभिभावक संघ अध्यक्ष राकेश रॉय ने कहा कि बिहार के तमाम स्थानों में निवास करने वाले महादलित के लोगों को अपनी जमीन न होने की वजह से विस्थापित होने को मजबूर होना पड़ता है और यह एक बहुत बड़ी वजह है कि ये अपनी बुनियादी अधिकारों से वंचित रह जाते हैं। चुकी संविधान में यह वर्णित है कि हर नागरिक को उनके मूलभूत अधिकार सुनिश्चित की जाएं लेकिन, जहां तक महादलितों की बात है तो वे शिक्षा स्वास्थ्य भूमि-आवास और रोजगार के बिना एक सम्मानपूर्ण जीवन नहीं जी पा रहीं हैं। उन्हें उनके संविधानिक अधिकारों से वंचित करके दोहन किया जा रहा है।
भूमि-आवास नहीं होने के कारण वे सड़क किनारे जैसे – तैसे, टूटी – फूटी झोपड़ी बनाकर रहते हैं और अक्सर वहां से भी उन्हें भगा दिया जाता है, जिसके कारण वे सिर्फ अपने भूमि-आवास को लेकर ही चिंतित रहते हैं, शिक्षा के प्रती उनकी रुचि ही नहीं बन पाती और स्वास्थ्य की तो कोई बात ही नहीं होती, रोजगार को लेकर हमेशा चिंतित रहते हैं की कैसे उनके परिवार को दो वक्त की रोटी मिले। महादलितों में ख़ासकर जो महिलाएं हैं उन्हें अन्य कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। शौचालय न होने की वजह से उन्हें दूसरों के खेतों में जाना पड़ता है, जहां उन्हें गालियां सुननी पड़ती है और उन पर पत्थर फेंके जातें हैं। इन तमाम वजहों से ये महिलाएं सम्मानपूर्ण जीवन नहीं जी पा रहीं है।
सुधाकर और फगुनी मांझी ने महाधरना में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आज़ादी के पचहत्तर साल बाद भी इन्हें अभी तक पांच डेसिमल भूमि ही नहीं मिला तो इनके लिए गुणवतापूर्ण शिक्षा की बातें करना भी बेईमानी ही है। शिक्षा के नाम पर बनी सभी योजनाएं धरी की धरी रह जाती है। सिर्फ बातें होती हैं। नेता आते हैं तरह तरह के प्रलोभन देकर वोट ले जातें हैं पर कोई समाधान नहीं करते। जरूरत आन पड़ी है कि महादलित परिवार जागरूक होकर संगठित होकर अपने बारे में सोचे जिसमें शिक्षा,स्वास्थ्य,भूमि-आवास, और रोजगार की बातें हों और यह जन आन्दोलन से ही संभव है। बिहटा सीओ मंजेश कुमार ने आकर महाधरना में उपास्थित लोगों को संबोधित कर कहा की बहुत जल्द सभी को उनका भूमि-आवास मिल जायेगा जो इनके हकदार होंगे। उपस्थित अन्य लोग अकांश, सुधाकर, अजीत, मोनिका, सद्दाम, दीपक, अशद, प्रशंशा प्रिया, आशा देवी
प्रमुख मांगे :-
1. सभी महादलितों को यथाशीघ्र भूमि-आवास दिया जाए जिसमें शौचालय साथ में हो।
2. जेल में बंद सभी महादलित लोगों को जिनमें से अधिकतर कमाने वाले पुरुष हैं उन्हें यथाशीघ्र रिहा किया जाए।
3. महादलितों के लिए रोजगार की व्यवस्था की जाए।
4. इनके लिए गुणवतापूर्ण शिक्षा स्वास्थ्य की व्यवस्था की जाय।