पटना ,(पंजाब केसरी): कांग्रेस को मछुआरों के लिए बिना पैसा का वकील बनने की जरूरत नहीं है। समाज इतना सक्षम है कि स्वयं अपनी बात रख सकता है। कांग्रेस आज सत्ता में भागीदारी करते हुए मछुआरों की भलाई का कोई काम नहीं किया। राजद से अपनी सत्ता की भागीदारी बढ़ाने की बात कर सकती है पर कभी मुख्यमंत्री नितीश कुमार और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से मछुआरों के विकास पर कभी बैठक नहीं कर सकती है । 10 जुलाई को राष्ट्रीय मछुआरा दिवस पर मछुआरों को सम्मान देने की बजाय बिहार के मत्स्य मंत्री कुंभकर्णी निंद्रा में थे । यह बात मछुआरों की सहकारी संस्था कॉफ्फेड के प्रबंधक निदेशक ऋषिकेश कश्यप ने कांग्रेस के बयान की तीव्र निंदा करते हुए कही । उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव के निकट आते ही सभी पार्टियों का मछुआरा प्रेम जग गया है। मछुआरा आयोग भंग है उस ओर किसी का ध्यान नहीं है। इसके अलावा मुख्यमंत्री नितीश कुमार मछुआरों के लिए एक रुपये में तालाबों के बंदोबस्ती करने की घोषणा की थी लेकिन सभी घोषणाएं नौकरशाही की शिकार हैं। कश्यप ने कहा की मत्स्य विभाग के मंत्री कांग्रेस के कोटे से बने है अब तक उन्होंने मछुआरों के विकास के लिए कोई कदम नहीं उठाये। कांग्रेस कहती है कि राहुल गाँधी ने 2017 में पार्टी में मछुआरा प्रकोष्ठ का गठन कर दिया था तो क्या इससे मछुआरों का भला हो गया! अब तक कांग्रेस मछुआरों की भलाई के लिए क्या किया मछुआरा समाज को बताएं! सिर्फ समाज का 14 फिसदी वोट पाने के लिए मछुआरों के हितैषी बनने का नाटक नहीं करें। कांग्रेस कोटे से बने मत्स्य मंत्री को 10 जुलाई मछुआरा दिवस पर मछुआरों के सम्मान की याद नहीं आई। कांग्रेस या अन्य राजनीति दल जान ले कि कॉफ्फेड के 16 लाख सदस्य और उनका मछुआरा परिवार किसी के झांसे में नहीं आने वाला है।