ज्ञान, त्याग और तपस्या का प्रबल कारक ग्रह वृहस्तपति देव : बाबा भागलपुर - Punjab Kesari
Girl in a jacket

ज्ञान, त्याग और तपस्या का प्रबल कारक ग्रह वृहस्तपति देव : बाबा भागलपुर

अधिपति होने के कारण इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक और विराट होता है। महिलाओं के जीवन में विवाह

भागलपुर : नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु और मंत्रणा का कारक माना जाता है। इस संदर्भ में राष्ट्रीय सम्मान से अलंकृत व अखिल भारतीय स्तर पर ख्याति प्राप्त ज्योतिष योग शोध केन्द्र, बिहार के संस्थापक दैवज्ञ पं. आर. के. चौधरी, बाबा भागलपुर, भविष्यवेत्ता एवं हस्तरेखा विशेषज्ञ का कहना है कि गुरु का अर्थ महान है।

सर्वाधिक अनुशासित, ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठ होता है और गुरू बृहस्पति तो देव गुरु है। इनके आराध्य देव स्वयं परब्रह्म ब्रह्मा जी हैं। पीला रंग, स्वर्ण, वित्त और कोष, कानून, धर्म, ज्ञान, मंत्र, ब्राह्मण और संस्कारों को नियंत्रित करता है। शरीर में पाचन तंत्र और आयु की अवधि को भी निर्धारित करता है। पॉच तत्वों में आकाश तत्व का अधिपति होने के कारण इसका प्रभाव बहुत ही व्यापक और विराट होता है। महिलाओं के जीवन में विवाह की सम्पूर्ण जिम्मेदारी बृहस्पति से ही तय होती है।

ज्योतिष शास्त्रानुसार बृहस्पति सबसे बड़ा ग्रह है। इस दृष्टिकोण से भी देव गुरु बृहस्पति शक्तिशाली और उदार ग्रह है। इनका रंग- पीला, दिशा-उत्तर, रत्न पोखराज, उपरत्न- टोपाज, धात- सोना, देवता- गुरु दत्तात्रेय-् ब्रह्मा जी। ज्योतिष शास्त्रानुसार गुरु प्रत्येक राशि के पारगमन के लिए लगभग तेरह महिनों का समय लेता है। इसके अलावा बृहस्पति नौवीं एवं बारहवीं राशि क्रमश: धनु और मीन में स्वगृही होता है तथा धनु इनकी मूल त्रिकोण राशि भी है। यह कर्क राशि में उच्च व मकर राशि में नीच का माना जाता है। विंशोत्तरी दशा के क्रम में इनकी महादशा सोलह वर्षों की होती है।

वैदिक ज्योतिष के तहत सूर्य, चन्द्रमा, मंगल गुरु के मित्र ग्रह माने गये हैं। जबकि बुध एवं शुक्र ग्रह से इनकी शत्रुता है। हालांकि शनि देव के साथ इनकी संबंध तटस्थ है। पौराणिक कथानुसार देव गुरु बृहस्पति को अंगिरा ऋषि एवं सुरुप का पुत्र माना जाता है। बृहस्पति ने प्रभाष तीर्थ के तट पर भगवान शिव की अखण्ड तपस्या कर देव गुरु की महानतम पद को प्राप्त किया और भगवान शिव ने प्रसन्न होकर नवग्रहों में एक उच्च स्थान दिया।

जन्मकुंडली व हस्तरेखा में बृहस्पति के शुभ होने से जातक विद्वान और ज्ञानी होता है, अपार मान-सम्मान पाता है, तमाम सम्स्याओं से बच जाता है तथा त्यागी व तपस्वी बनाता है। बृहस्पति पाप ग्रहों से प्रभावित होने पर मनुष्य को अहंकारी और भोजन प्रेमी बना देता है। इनके कमजोर स्थिति में होने पर जातक के संस्कार भी कमजोर होते हैं और विद्या व धन प्राप्ति में बाधाओं का सामना करना पड़ता है। कैंसर और यकृत की समस्याएंआती है। अत: देव गुरु बृहस्पति के नकारात्मक प्रभाव को शमन करने तथा शुभ फल व अनुकूल फल की प्राप्ति के लिए कुछेक प्रभावशाली उपाय करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

four + 7 =

Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।