पिछले 12 वर्षों में बिहार में हुआ चमात्कारिक बदलाव दुनिया के पिछड़े देशों के लिए सबक : सुशील मोदी - Punjab Kesari
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पिछले 12 वर्षों में बिहार में हुआ चमात्कारिक बदलाव दुनिया के पिछड़े देशों के लिए सबक : सुशील मोदी

550 से ज्यादा सामुदायिक वीडियो का निर्माण कर 6 लाख से ज्यादा महिला कृषकों को कृषि एवं पोषण

पटना : अमेरिका के प्रमुख थींक टैंक (Think Tank) ‘सेंटर फाॅर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज‘ के ‘ग्लोबल हेल्थ पाॅलिसी सेंटर’ द्वारा वाशिंगटन डी सी में भारत के किसी राज्य पर पहली बार आयोजित कार्यक्रम में अमेरिका के 100 से ज्यादा शोधकर्ता, वैज्ञानिक, नीति निर्धारक, स्वयं सेवी संगठनों एवं अमरीकी सरकार के प्रतिनिधियों को ‘ बिहार के स्वास्थ्य क्षेत्र से सबक’ विषय पर सम्बोधित करते हुए राज्य के उपमुख्यमंत्री श्री सुशील कुमार मोदी एवं स्वास्थ्य मंत्री श्री मंगल पाण्डेय ने कहा कि पिछले 12 वर्षों से बिहार में चमात्कारिक बदलाव हुआ है जो दुनिया के पिछड़े देशों के लिए सबक है कि किस प्रकार राजनैतिक इच्छा शक्ति हो तो विपरीत परिस्थितियों में भी परिवर्तन लाया जा सकता है।

श्री मोदी ने बताया कि सीमित संसाधनों के बावजूद बिहार ने मातृत्व एवं शिशु मृत्यु दर, संस्थागत प्रसव, टीकाकरण, कालाजार एवं टी. बी. नियंत्रण जैसे सभी मानकों पर देश के किसी भी राज्य की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है।

श्री मोदी ने बताया कि बिहार में विकसित ‘किलकारी’ तथा ‘ मोबाइल एकेडमी ’ नामक मोबाइल एप्लिकेशन को 13 राज्यों की 90 लाख गर्भवती महिलाएं तथा 2 लाख से ज्यादा आशा एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने अपनाया है। बिहार की 4 लाख से ज्यादा स्वयं सहायता समूहों को मोबाइल द्वारा स्वास्थ्य, पोषण, स्वच्छता का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इसी प्रकार ‘डिजिटिल ग्रीन’ कार्यक्रम के अन्तर्गत जीविका की दीदियों द्वारा 550 से ज्यादा सामुदायिक वीडियो का निर्माण कर 6 लाख से ज्यादा महिला कृषकों को कृषि एवं पोषण की नयी तकनीक से प्रशिक्षित किया गया है।

श्री मोदी ने बताया कि बिहार के इन सफल प्रयोगों को अब भारत सरकार पूरे देश में प्रचारित एवं प्रसारित करने जा रही है।

सम्मेलन में शामिल प्रतिनिधियों ने बताया कि अमेरिका के अनेक प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों बिहार सरकार द्वारा महिला सशक्तिकरण हेतु पंचायत एवं शहरी निकाय में 50 प्रतिशत आरक्षण, सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण, बालिका साइकिल योजना, कन्या उत्थान योजना जैसे कार्यक्रमों का अध्ययन किया जा रहा है ताकि दुनिया के अन्य देश भी इन्हें अपना सकें।

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