बिहार में शिक्षा विभाग ऐसे नियम और फैसले बना रहा है जिससे काफी दिक्कतें हो रही हैं। सुशील कुमार मोदी ने कहा कि इन फैसलों से स्कूलों और विश्वविद्यालयों में भ्रम और अनिश्चितता पैदा हो रही है। बिहार में शिक्षा विभाग द्वारा जारी हो रहे आदेशों को लेकर अब सियासत शुरू हो गई है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी ने शनिवार को कहा कि शिक्षा विभाग के मनमाने फैसलों के कारण प्राथमिक स्कूल से लेकर विश्वविद्यालय तक अराजकता और अनिश्चितता की स्थिति है।
नौकरशाहों को नियंत्रण में रखना चाहिए
मोदी ने कहा कि स्कूल के हेडमास्टरों को मिड-डे मील का खाली बोरा कबाड़ में बेच कर पैसे जुटाने का फरमान और एक विश्वविद्यालय के कुलपति और प्रतिकुलपति का वेतन रोकने के आदेश शिक्षा विभाग की मनमानी कार्रवाई के ताजा नमूने हैं। उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार को अपने अतिसक्रिय नौकरशाहों को नियंत्रण में रखना चाहिए, ताकि न शैक्षणिक वातावरण बिगड़े और न राजभवन से टकराव की स्थिति पैदा हो। शिक्षा विभाग को ऐसा कोई कदम नहीं उठाना चाहिए, जो उसके अधिकार क्षेत्र में न हो।
बिहार सरकार और शिक्षा विभाग ने चुप्पी साध ली
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ने पहले विश्वविद्यालयों में चार साल का डिग्री कोर्स शुरू करने की कुलाधिपति सह राज्यपाल की पहल का विरोध किया और अब बीआरए बिहार विश्वविद्यालय के कुलपति, प्रतिकुलपति का वेतन रोकने की कार्रवाई कर अपनी हदें पार कर दी। मोदी ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने बीएड डिग्री वालों के प्राथमिक स्कूलों में शिक्षक बनने पर रोक लगाकर केवल डिप्लोमाधारी (डीएलएड) को नियुक्ति करने का आदेश दिया। इस मुद्दे पर बिहार सरकार और शिक्षा विभाग ने चुप्पी साध ली।