सत्‍ता के शिखर पर बैठे लोगों को अपनी शक्ति का एहसास दिलाने का सही वक्‍त : राजीव रंजन प्रसाद - Punjab Kesari
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सत्‍ता के शिखर पर बैठे लोगों को अपनी शक्ति का एहसास दिलाने का सही वक्‍त : राजीव रंजन प्रसाद

ग्‍लोबल कायस्‍थ कांफ्रेंस (जीकेसी) के ग्‍लोबल अध्‍यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने शनिवार को कहा कि केंद्र और राज्‍यों

ग्‍लोबल कायस्‍थ कांफ्रेंस (जीकेसी) के ग्‍लोबल अध्‍यक्ष राजीव रंजन प्रसाद ने शनिवार को कहा कि केंद्र और राज्‍यों में सत्‍ता के शिखर पर बैठे लोगों को अपनी ताकत का एहसास दिलाने का वक्‍त आ गया है। जीकेसी अध्‍यक्ष प्रसाद ने यह बात 19 दिसंबर को दिल्‍ली के तालकटोरा स्‍टेडियम में आयोजित विश्व कायस्थ महासम्मेलन से एक दिन पूर्व कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक को संबोधित करते हुए कही। उन्‍होंने कहा कि ‘‘न तो हम किसी के विरोध में हैं, न तो किसी के साथ, लेकिन जो हमारे साथ है हम उसी के साथ हैं।
आज कायस्थ कहीं न कहीं खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है
राजीव रंजन ने कहा कि सम्पूर्ण भारत वर्ष के 5000 साल का इतिहास को यदि हम देखें तो कायस्थ समाज की हर काल खंड के शासन और प्रशासन में महत्वपूर्ण और विश्वसनीय भूमिका के उदाहरण दृष्टिगोचर हो जाते हैं। कायस्‍थ समाज ने जरूरत पड़ी तो राष्ट्र की रक्षा में तलवारें भी उठाई है। यहां तक कि स्वाधीनता संग्राम से लेकर आजाद भारत में भी समाज के हस्ताक्षरों ने देश के महत्वपूर्ण पदों की जिम्मेदारी संभाली, लेकिन, आज कायस्थ कहीं न कहीं खुद को उपेक्षित महसूस कर रहा है। इसिलिए कायस्‍थों को अपनी एकजुटता दिखाने के लिए एक मंच पर आना पड़ा है। 
उन्‍होंने कहा कि देश और विदेश में कायस्थों के नेतृत्व करने का इतिहास किसी से भी छुपा नहीं है। विश्व गुरू स्वामी विवेकानंद, स्वतंत्रता आंदोलन के नायक सुभाष चन्द्र बोस या फिर देश में संपुर्ण क्रांति के अगुआ जयप्रकाश नारायण, राजेंद्र प्रसाद, लाल बहादुर शास्त्री सहित अन्य कई विभुतियों ने देश का न सिर्फ नेतृत्व किया, बल्कि अध्याय बदलने का काम किया है। ऐसे में एकबार फिर संसदीय व्यवस्था में कायस्थों का शिखर पर आना जरूरी हो गया है। जीकेसी के ग्‍लोबल अध्‍यक्ष ने कहा कि समाज को अब राजनीति से लेकर व्यापार क्षेत्र के लिए भी खुद को तैयार करना होगा। 
देश में गिरती हुई व्यवस्था को नियंत्रित किया जा सके
जीकेसी के ग्‍लोबल अध्‍यक्ष ने कहा कि आज के संसदीय मुल्यों में गिरावट, बिगड़ती सामाजिक तानाबाना, समाज में असंतोष की भावना को देखते हुए तंत्र के शिखर पर काबिज होने के लिए अपनी शक्ति का प्रदर्शन करना बहुत जरूरी हो गया है, ताकि देश में गिरती हुई व्यवस्था को नियंत्रित किया जा सके। ऐसी स्थिति में एक बार फिर अपने गौरवशाली अतीत के अनुरूप कायस्थों को हर क्षेत्र में शिखर पर लाने की पुरजोर कोशिश हमलोग कर रहे हैं। इसके लिए राजधानी दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में विश्व कायस्थ महासम्मेलन का आयोजन हमलोगों ने किया है, जहां अपनी चट्टानी एकता के साथ-साथ मजबूती का एहसास भी हम देश और दुनिया को कराएंगे। 
जीकेसी की प्रबंध न्यासी श्रीमती रागिनी रंजन ने कहा कि देश और विदेशों में कायस्थों ने न सिर्फ नेतृत्व किया, बल्कि अध्याय बदलने का भी काम किया है। ऐसे में एकबार फिर संसदीय व्यवस्था में कायस्थों का शिखर पर आना जरूरी हो गया है। उन्‍होंने कहा कि युवाओं ने अपनी प्रतिभा से सभी बाधाओं को पार कर लिया है, वे वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बना रहे हैं, लेकिन देश में ही अवसरों के लिए देश की राजनीति और प्रशासन में भी भागीदारी जरूरी है। 
राजनीतिक क्षेत्र में मौजूदा वक्‍त में समाज का कितना प्रतिनिधित्व है
जीकेसी दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष सुनील श्रीवास्तव ने कहा कि समाज को अब व्यापार क्षेत्र के लिए भी खुद को तैयार करना होगा। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा कि राजनीतिक क्षेत्र में मौजूदा वक्‍त में समाज का कितना प्रतिनिधित्व है। इसके लिए हमसभी को एकजुट होने की जरूरत है। श्रीवास्‍तव ने कहा कि संसदीय मुल्यों में गिरावट, बिगड़ती सामाजिक तानाबाना, समाज में असंतोष की भावना को देखते हुए तंत्र के शिखर पर काबिज होने के  लिए अपनी शक्ति का प्रदर्शन बहुत जरूरी है, ताकि देश में गिरती हुई व्यवस्था को नियंत्रित किया जा सके। 
इस अवसर पर राष्ट्रीय उपाध्यक्ष दीपक कुमार अभिषेक, दीपक वर्मा, आनंद सिंह, अनुराग सक्सेना, दीपक वर्मा, अंजन श्रीवास्तव, प्रेम कुमार, ऋतु खरे, नवीन कांत, अविनाश श्रीवास्तव, कमल किशोर श्रीवास्तव, अतुल आनंद सन्नू, श्रुति सिंहा, पवन सक्सेना, मिहिर भोले, राजीव कांत और राज कुमार श्रीवास्तव मौजूद रहे।

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