पटना: राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने छपरा जिला के इसुआपुर, अमनौर और अन्य जगहों पर जहरीली शराब से बीस से ज्यादा लोगों की मौत के लिए राज्य सरकार को जिम्मेवार बताया और कहा कि बिहार में शराबबंदी के बाद से जहरीली शराब ने लाशों का अंबार खड़ा कर दिया जहरीली शराब ने शराबबंदी के बाद मौत का तांडव मचा रखा है जहरीली शराब से राज्य में मौत नहीं नरसंहारों का सिलसिला बीते कई वर्षों से बदस्तूर जारी है आज भी छपरा में हुई बीस मौतों से वहां के जिलाधिकारी और आरक्षी अधीक्षक राज्य प्रशासन पल्ला झाड़ रहा है शराबबंदी की विफलता से नीतीश कुमार तिलमिला गये हैं और बिहार विधान सभा में तुम-तराक की भाषा का प्रयोग विपक्ष के नेताओं के उपर कर रहे हैं । राष्ट्रीय प्रवक्ता अग्रवाल ने कहा कि राज्य में शराबबंदी सिर्फ कागजों पर है जबसे बिहार में शराबबंदी की घोषणा हुई उसके बाद से बिहार के अलग-अलग जिलों और गांवों में जहरीली शराब ने हजारों महिलाओं के मांग उनका सिंदूर छीन लिया जहरीली शराब ने हजारों माताओं के लाल को लीन लिया। आए दिन बिहार में जहरीली शराब से लोगों की जान जा रही है, लोगों की मौत की जिम्मेवारी लेने से नीतीश कुमार भाग रहे हैं जबकि जहरीली शराब से हुई मौतों की जिम्मेवारी राज्य सरकार और राज्य के मुखिया नीतीश कुमार को लेनी चाहिये जिम्मेवारी लेने की बजाय शराबबंदी की विफलता की खीज में नीतीश कुमार विपक्ष पर आक्रमक हो रहे हैं राष्ट्रीय लोजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने आगे कहा कि अविलंब बिहार में शराबबंदी कानून को समाप्त करना चाहिये क्योंकि नीतीश कुमार और वर्तमान सरकार और पुलिस प्रशासन से अवैध शराब एवं जहरीली शराब के कारोवार एवं शराब माफिया के द्वारा बिहार में बड़े पैमाने पर शराब की आपूर्ति और शराब के अवैध धंधे को खत्म करना कतई संभव नहीं है। राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी नीतीश कुमार और वर्तमान सरकार से मांग करती है कि बिहार में शराबबंदी कानून की सफलता और विफलता को लेकर जन सर्वेक्षण कराये तो नीतीश कुमार और वर्तमान सरकार के सामने सच्चाई पूरी तरह से स्पष्ट हो जायेगी कि राज्य के लोग शराबबंदी के पक्षधर है या शराबबंदी के विरोध में हैं । बिहार की जनमानस और अधिकतर पार्टियां यह मानती हैं कि नीतीश कुमार के शराबबंदी मॉडल का पूरी तरह से मखौल और मजक बन कर रह गया है । सभी लोग शराबंदी को विफल और असफल मानते हैं और शराबंदी कानून को बिहार से पूरी तरह से खत्म करने की इच्छा रखते हैं।