गांव, गरीब और किसानों की उपेक्षा, युवाओं को झांसा देने वाला बजट: विजय सिन्हा - Punjab Kesari
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गांव, गरीब और किसानों की उपेक्षा, युवाओं को झांसा देने वाला बजट: विजय सिन्हा

बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बिहार के बजट 2023-24 पर अपनी प्रतिक्रिया देते

पटना : बिहार विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने बिहार के बजट 2023-24 पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि सरकार ने बजट के जरिए एक बार फिर युवाओं को झांसा देने का प्रयास किया है। 10 लाख युवाओं को रोजगार देने की घोषणा के साथ सरकार ने उसमें स्वरोजगार व युवाओं को स्कील्ड बनाने के कार्यक्रमों को जोड़ कर यह स्पष्ट कर दिया है कि उसके पास नौकरियां नहीं है। वह केवल युवकों को ठगने के लिए इस तरह की घोषणाएं कर रही है।
सिन्हा ने कहा है कि बजट में न तो विकास की कोई दिशा है और न ही इसमें राज्य की बदहाली को दूर करने का कोई विजन है। बजट में गांव, गरीब और बेरोजगारों की घोर उपेक्षा की गई है। बजट पूरी तरह से युवा बेरोजगारों की आशाओं व उम्मीदों पर पानी फेरने वाला है। एक बार फिर सरकार ने युवाओं को 10 लाख नौकरियों का झुनझुना थमा कर उन्हें निराश किया है। बजट में किसान, गरीब, गांव और मजदूरों के लिए एक भी ऐसा प्रभावकारी पहल नहीं दिख रहा है जिससे उनकी जिन्दगी को बेहतर बनाने की उम्मीद जगे। 2.61 लाख करोड़ के बजट प्रस्ताव में योजनाओं पर मात्र 38.20 प्रतिशत यानी 1 लाख करोड़ खर्च करने का अनुमान किया गया है, जिससे यह स्पष्ट है विकास सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। उन्होंने कहा है कि एक बार फिर सरकार की निर्भरता केन्द्रीय करों में राज्यों की हिस्सेदारी और कर्जों से उगाही जाने वाली राशि पर टीका हुआ है। पिछले वित्तीय वर्ष में बिहार को केन्द्रीय करों में हिस्सेदारी के तौर पर 95,509.85 करोड़ मिलने का पुनरीक्षित अनुमान है वहीं वर्ष 2023-24 में यह बढ़ कर 1,02,737.36 करोड़ होने का अनुमान है। आगामी वित्तीय वर्ष में बिहार को केन्द्र सरकार से सहायक अनुदान के रूप 53,377.92 करोड़ प्राप्त होने की उम्मीद है।
उन्होंने कहा है कि भर्ती एजेंसियों को कुल 63,900 पदों की रिक्तियां भेजने का दावा करने वाली सरकार पहले यह बतायें कि बीपीएससी, बीटीएससी और बीएसएससी सहित अन्य आयोगों, बोर्डों में व्याप्त भ्रष्टाचार और अराजकता को दूर करने के लिए उसके पास क्या उपाय है? सरकार यह भी बतायें कि पिछले तीन-चार सालों से जो बहाली की प्रक्रिया चल रही है, उनका क्या होगा? विभिन्न पात्रता उत्तीर्ण शिक्षक अभ्यर्थियों से भी सरकार ने छल करते हुए केवल इतना भर कहा है कि 7 वें चरण की शिक्षक नियुक्ति प्रक्रियाधीन है। दरअसल सरकार युवाओं के सपनों को रौद रहीं है। बिहार के 78 लाख युवा स्नातक बेरोजगारों से सरकार को आंखे मिलाने की हिम्मत नहीं है। कैबिनेट की पहली बैठक में 10 लाख सरकारी स्थायी नौकरियां देने का झांसा देने वाली सरकार युवाओं के साथ छल कर रही है। सिन्हा ने कहा कि कृषि, शिक्षा और स्वास्थ्य सरकार की प्राथमिकता में होते हुए सर्वाधिक बदहाल स्थिति में हैं। कृषि के लिए कुल 3,639.78 करोड़, शिक्षा विभाग के लिए कुल 40,450.91 करोड़ व स्वास्थ्य विभाग के लिए 16,966.42 करोड़ रुपये का बजटीय प्रावधान किया गया है जो पिछले वर्ष की तुलना में मामूली वृद्धि है। पिछले 5 वर्षों में शिक्षा पर 8 गुना एवं स्वास्थ्य पर 11 गुना अधिक व्यय के बावजूद शिक्षा व स्वास्थ्य की बदहाली में कोई सुधार नहीं हुआ है।
उन्होंने कहा कि राज्य की सभी 38 इंजीनियरिंग कॉलेजों की स्थिति दयनीय बनी हुई है। अभी हाल में आए परीक्षा परिणाम में जहां 460 छात्र फेल हो गए वहीं सभी कॉलेजों के सभी छात्र किसी न किसी विषय में अनुत्तीर्ण हुए। मौलिक आधारभूत संसाधनों के साथ शिक्षकों की कमी से किसी भी अभियंत्रण महाविद्यालयों में पठन-पाठन की स्थिति ठीक नहीं है, जबकि सरकार ने इनमें पहले की 8,772 सीटों की संख्या बढ़ा कर 10,965 करने की घोषणा की है। दरअसल सरकार मूल समस्याओं से ध्यान भटकाने के लिए इस तरह की सतही घोषणाएं कर रही है।

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